भोपाल। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को यदि कलेक्टर रेट से कम वेतन दिया जा रहा है तो गलत है और सरकार को इसके लिए एरियर अदा करके कलेक्टर रेट पर उसका वेतन निर्धारित करना होगा। यह Decision हाईकोर्ट की इंदौर बैंच ने दिया है। बालिका छात्रावास कुकडेश्वर में चौकीदार पद पर कार्यरत श्री शांतिलाल भियांजा के पक्ष याचिका क्रमांक WP 18256/2018 पर पारित आदेश दिनांक 04/02/2019 में माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर ने कलेक्टर रेट पर नियुक्ति को निश्चित मानदेय में बदलना न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 का उल्लंघन मान कर ऐसी अवधि का एरियर तीन माह में भुगतान का आदेश दिया है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष व जिला शाखा-नीमच के अध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि उक्त अन्याय के खिलाफ श्री भियांजा ने माननीय न्यायालय खंडपीठ इंदौर में याचिका दायर की थी। इसमें प्रतिवादी "लोक शिक्षा एवं परियोजना कमीश्नर, अपर परियोजना संचालक RMSA भोपाल, जिला शिक्षा अधिकारी नीमच, कलेक्टर नीमच व प्राचार्य कउमावि कुकडेश्वर जिला नीमच" को आदेश दिया है कि श्री शांतिलाल भियांजा चौकीदार को दिनांक 10/10/2011 को कलेक्टर रेट पर नियुक्त किया था लेकिन दिनांक 15/06/2016 से कलेक्टर रेट के स्थान पर ₹ 3000/-निश्चित मानदेय भुगतान शुरू कर दिया (लगभग ₹4000/- प्रतिमाह कम) जो न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 का उल्लंघन है।
इस प्रकरण की सफल पैरवी अधिवक्ता श्री SR पोरवाल इंदौर ने की व इनके तर्को से सहमत होकर विद्वान न्यायाधीश श्री एससी शर्मा ने प्रतिवादीगणों को आदेशित किया की कलेक्टर रेट से कम भुगतान न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 का उल्लंघन मान कर श्री भियांजा को कलेक्टर रेट से भुगतान व देय एरियर का भुगतान तीन माह में किया जाए। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि श्री भियांजा के पक्ष में माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर का फैसला प्रदेशभर में मील का पत्थर साबित होगा।