ग्वालियर। राज्य सरकार ने मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति के लिए मापदंड तय कर दिए हैं। अब कोई मांसाहारी या शराबी किसी भी सरकारी मंदिर में पुजारी नहीं बन सकेगा। आठवीं पास होने के साथ ही पुजारी को पूजा विधि की प्रमाण-पत्र परीक्षा उत्तीर्ण करना होगी। शिवराज सरकार ने मंदिरों के पुजारियों के पद सभी वर्गों के लिए खोलने की पेशकश की थी, लेकिन कमलनाथ सरकार ने इसकी बजाय वंश परंपरा के आधार पर पुजारी बनाने का फैसला किया है। कांग्रेस के वचन-पत्र में भी मठ-मंदिर का नामांतरण गुरु-शिष्य परंपरा अनुसार करने और पुजारियों की वंश परंपरा अनुसार नियुक्ति का वादा किया गया था।
अध्यात्म विभाग ने पुजारियों की नियुक्ति, योग्यता, नियुक्ति की प्रक्रिया, उनके कर्तव्य, दायित्व, पद से हटाने और पद रिक्त होने पर व्यवस्था के संबंध में नियम बना लिए हैं। इसमें आवश्यक योग्यता के लिए 18 वर्ष की आयु, कम से कम आठवीं तक शिक्षित होना अनिवार्य किया गया है। इस पद पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जाएगी, जो शुद्ध शाकाहारी हो, मद्यपान न करता हो और आपराधिक चरित्र का न हो। उसने पूजा विधि की प्रमाण-पत्र परीक्षा उत्तीर्ण की हो और पूजा विधि का ज्ञान हो। देवस्थान की भूमि पर अतिक्रमण या देवस्थान की अन्य संपत्ति खुर्दबुर्द करने का दोषी न हो। पिता पुजारी होने की दशा में पुत्र तथा उसी वंश के आवेदक को अन्य सभी योग्यता पूरी करने पर वरीयता दी जाएगी। मठ में संप्रदाय विशेष या अखाड़ा विशेष के पुजारी की परंपरा रहेगी।
नियुक्ति की प्रक्रिया
किसी देवस्थान में पुजारी का पद खाली होने की दशा में आवेदन निर्धारित प्रारूप में संबंधित अनुविभागीय अधिकारी को देना होगा। आवेदन-पत्र के साथ शपथ-पत्र पर अंडरटेकिंग भी देनी होगी। अनुविभागीय अधिकारी पंद्रह दिन में पुजारी के नाम की सार्वजनिक सूचना जारी करके आपत्तियां आमंत्रित करेंगे। आपत्ति न आने पर पटवारी, नायब तहसीलदार और तहसीलदार से प्रतिवेदन लेकर पुजारी की नियुक्ति की जाएगी।
पद से हटाने की भी प्रक्रिया
स्वस्थ चित्त न रहने पर, देवस्थान की चल-अचल संपत्ति में हित का दावा करने पर, चारित्रिक दोष पैदा होने पर, देवस्थान की सेवा, पूजा एवं संपत्ति की सुरक्षा में लापरवाही बरतने पर, शासन के आदेशों की अवहेलना करने पर पुजारी को पद से हटाया जा सकता है।