MP BOARD को समझना होगा सैनिक और शिक्षक में अंतर होता है | Khula Khat

Bhopal Samachar
रमेश पाटिल। माध्यमिक शिक्षा मंडल ( Board of Secondary Education ) को समझना होगा की सैनिक और शिक्षक की मानसिकता और कार्यप्रणाली में अंतर होता है। सैनिक की सेवा में भ्रमण तो शिक्षक की सेवा में स्थायित्व प्रधान गुण होता है। बोर्ड परिक्षाओ में नकल रोकने के नाम पर केन्द्र अधीक्षक और सहायक केन्द्र अधीक्षक के अव्यवहारिक आदेश जारी कर दिए जाते है। जबरन केन्द्र अधीक्षक और सहायक केन्द्र अधीक्षक को एक से डेढ़ माह तक घर से बेघर होकर मुसाफिर का जीवन जीने के लिए बाध्य होना पडता है।

जिस व्यक्ति को निष्पक्ष ईमानदारी की अपेक्षा के साथ नकल रहित परीक्षा लेने के लिए दूरस्थ परीक्षा केन्द्रों पर नियुक्त कर दिया जाता है वह अपने शाला मुख्यालय के निकटस्थ परीक्षा केन्द्रों पर नियुक्त होने पर अचानक कैसे बेईमान हो जाएगा यह सोचनीय विषय है? ईमानदारी या बेईमानी हर व्यक्ति की अपनी नैसर्गिक प्रकृति होती है। वह कहीं पर भी नियुक्त हो तो उसका आचरण बदल जाएगा यह सामान्य स्थिति में संभव नही। बेईमान बेईमान ही रहेगा, ईमानदार ईमानदार ही रहेगा चाहे वह कही पर भी नियुक्त हो लेकिन ईमानदार व्यक्ति को निहत्था, कमजोर कर दिया जाएगा तो वह निश्चित तौर पर ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन नही कर पाएगा और केवल औपचारिकता निभाएगा। परीक्षा संचालन में ऐसे दृश्य आजकल अधिक दिखाई दे रहे है।

नकल रोकने के और भी तरीके है जो ज्यादा बेहतर, सस्ते और विश्वसनीय है। आज के समय में तकनीकी का इस्तेमाल परीक्षा में होना चाहिए। जिसमें सीसीटीवी कैमरे का उपयोग परीक्षा केन्द्रो पर सबसे आसान है। जिससे सम्पूर्ण परीक्षा की रिकार्डिंग भी की जा सकती है। अधिकारीगण  चालु परीक्षा पर नजर भी रख सकते है और आवश्यकता पडने पर भविष्य मे कभी भी जांच भी जा सकती है। यह सुगम तरीका तो है ही मंहगा भी नही है और एक बार परीक्षा केन्द्र पर इसकी व्यवस्था करने पर शाला में साल भर शैक्षणिक गतिविधियों की निगरानी भी की जा सकती है और बार-बार वर्षो तक इस संसाधन का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन घिसे-पिटे ढर्रे में सुधार की ईच्छा शक्ति दिखाने का साहस अभी तक किसी के द्वारा दिखाई नही दिया। सबकी अपनी विवशता झलकते रहती है। इससे लगता नही है कि वास्तव में नकल रोकने और निष्पक्ष परीक्षा लेने के उद्देश्य और मंशा एक जैसी रहती हो ?

अपनी शाला मुख्यालय से दूरस्थ परीक्षा केन्द्र पर केन्द्र अधीक्षक और सहायक केन्द्र अधीक्षक को नियुक्त करने से नकल रोकने का उद्देश्य कैसे गौण हो जाता है। इसको समझने का प्रयास करते है। जैसे ही किसी व्यक्ति की नियुक्ति दूरस्थ क्षेत्र में परीक्षा केन्द्र पर हो जाती है उसके सामने भोजन, विश्राम करने, परिवार से दूर एकांगी जीवन और सुरक्षा की चिंता सताने लगती है।इन अनिवार्य आवश्यकता के लिए वह आत्मनिर्भरता खो चुका होता है और दूसरो पर निर्भर हो जाता है। पुलिस थाने-चौकी से परीक्षा के दिन गोपनीय सामग्री निकाल कर परीक्षा केन्द्र तक ले जाने  और समन्वय संस्था तक गोपनीय सामग्री सीलबंद पहुंचाने के लिए भी परीक्षा केन्द्र अधीक्षक को दूसरो के वाहन पर निर्भर रहना पड़ता है क्योंकि बोर्ड द्वारा इस प्रकार की कोई व्यवस्था नही की जाती है। परीक्षा कार्य में संलग्न अनिवार्य आवश्यकता के लिए दूसरो पर निर्भर व्यक्ति कैसे दृढता दिखाकर नकल रोक देगा? यह विशेषज्ञो के लिए गंभीर सोचनीय विषय है। कई बार सोचने के लिए विवश होना पडता है कि कही ऐसा तो नही की परीक्षा परिणाम में वृद्धि दिखाने के लिए यह अप्रत्यक्ष हथकंडा अपनाया जाता हो? परीक्षा सम्बन्धी नियुक्तियों में कर्मचारी के स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं की सुनवाई भी कम ही होती है। विगत वर्षो में नियुक्ति में असंवेदनशीलता से दुखद घटनाए घटित हो चुकी है।

परीक्षा सम्बन्धी दायित्व के निर्वहन के लिए बोर्ड द्वारा मानदेय प्राप्त होता है। जो मंहगाई के अनुपात में न्यून होता है। प्राप्त मानदेय से कही अधिक दूरस्थ परीक्षा केन्द्र पर नियुक्त व्यक्ति का बहुत अधिक आर्थिक व्यय हो जाता है। यह दंश किसी न किसी केन्द्र अधीक्षक और सहायक केन्द्र अधीक्षक को प्रतिवर्ष झेलना होता है जिसका भार वह स्वयं उठाने के लिए न चाहते हुए भी विवश रहता है। दूरस्थ परीक्षा केन्द्र में निष्पक्ष परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त व्यक्ति के यात्रा भत्तो के भुगतान की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा मंडल की होती है लेकिन देखने में आया है कि यहा भी कुछ के हिस्से में इंतजार ही आता है।

बोर्ड परीक्षाओ में केन्द्र अधीक्षक और सहायक केन्द्र अधीक्षक की नियुक्ति शाला मुख्यालय के निकट या विकासखंड के अंदर कर दी जाए और परीक्षा केन्द्र पर सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य लगा दिए जाए तो नियुक्त व्यक्ति स्थानीय संसाधनों का बेहतर उपयोग तो कर ही सकता है, संतुष्टि के भाव से कार्य करेगा तो दृढता से नकल रोकने के उद्देश्य में भी अधिक सफल होगा। साथ ही माध्यमिक शिक्षा मंडल को आर्थिक बचत भी होगी क्योंकि यात्रा भत्तो का सीमित भुगतान जो करना होगा।

शोषण तो शोषण होता है चाहे वह किसी भी स्तर का हो। शोषण का विरोध न करने पर वह परिपाटी बन जाती है। अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश परीक्षा केन्द्र पर अपनी शाला मुख्यालय से दूरस्थ नियुक्त केन्द्र अधीक्षक और सहायक केन्द्र अधीक्षक की समस्या को उठाना महत्वपूर्ण दायित्व समझती है।

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