कोषालय द्वारा शिक्षक संवर्ग को क्रमोन्नति से वंचित रखना मानवाधिकारों का हनन | MP EMPLOYEE NEWS

भोपाल। संयुक्त संचालक कोष लेखा उज्जैन संभाग उज्जैन ने शासनादेशों की मनमानी व्याख्या कर शिक्षक संवर्ग को देय तृतीय क्रमोन्नति वेतनमान में योग्यता का पेंच डालकर अपने 18 जनवरी 2019 के आदेश से उलझन खड़ी कर दी है। 

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष व जिला शाखा-नीमच के अध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि प्रदेश में शिक्षक संवर्ग को द्वितीय क्रमोन्न्नत वेतनमान प्रदेश के अन्य संवर्ग के कर्मचारियों के साथ  01/04/1999 से स्वीकृत कर आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल ने अपने आदेश क्रमांक स्था-3/सी/क्रमोन्न्नति/558/02 भोपाल दिनांक 04/04/2002 के पेरा 3 में स्पष्ट कर दिया था कि "क्रमोन्न्नत वेतनमान में योग्यता बंधनकारी नहीं है, शेष मापदंड पदोन्नति जैसे ही अपनाये जाए।" लगभग 19 वर्ष पूर्व एक बार क्रमोन्नति वेतनमान के लिए गाइडलाइन जारी होने के बावजूद तृतीय क्रमोन्नति वेतनमान के समय फिर वही आपत्ति जताई है ; इससे लगता है जानबूझकर  नियमों की अनदेखी कर भोपाल से मार्गदर्शन मांगने के बहाने तृतीय क्रमोन्नति वेतनमान को ठंडे बस्ते में डाला गया है। 

यह कार्यरत व सेवानिवृत्त शिक्षकों से बार-बार वेतन निर्धारण के लिए फाइलों की लोटाफेरी कर भ्रष्टाचार की मोटी रकम वसूलने का गोरखधंधा कोषालय अधिकारियों द्वारा काकस के रूप में चलाया जा रहा है। यह सब शिक्षकों के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन व हनन है। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ मांग करता है कि राज्य मानवाधिकार आयोग इस पर गंभीरतापूर्वक स्वतः संज्ञान लेकर शिक्षकों के साथ न्याय करे। 

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