श्रेयांश-प्रियांश हत्याकांड से भड़का मध्यप्रदेश, सरकार शर्मसार, चित्रकूट बंद | MP NEWS

भोपाल। सतना के श्रेयांश और प्रियांश की हत्या के बाद पूरे प्रदेश में पुलिस के प्रति गुस्सा भड़क रहा है। अपहरणकर्ताओं ने 25 लाख रुपए फिरौती वसूली और बच्चों की हत्या कर दी। पुलिस उनके कोई सुराग नहीं लगा पाई। विरोध में चित्रकूट बंद हो गया है। कलेक्टर ने धारा 144 लगा दी है। सीएम कमलनाथ ने एक बार फिर DGP से बात की है। ANI news के पत्रकार संदीप सिंह का आरोप है कि 'अपहरण के बाद आरोपी आसानी से कर गए बॉर्डर पार। पुलिस और प्रशासन ट्रासंफर पोस्टिंग में व्यस्त रहा।' पूर्व सीएम शिवराज सिंह का कहना है कि मध्यप्रदेश शांति का टापू था, आज अपराध का महाद्वीप बन गया है। 

मध्यप्रदेश शांति का टापू था, आज अपराध का महाद्वीप बन गया: शिवराज सिंह


शिवराज सिंह चौहान ने बयान दिया है कि 'श्रेयांश और प्रियांश वे फूल थे जो खिलने के पहले ही डाल से तोड़ लिए गए। केवल शाब्दिक सहानुभूति से काम नहीं चलेगा। हम उन माता-पिता के दर्द की कल्पना कर सकते हैं जिन्होंने अपनी संतान खोई। इतने दिनों तक अपहरणकर्ताओं के चंगुल में उन मासूम बच्चों ने कितनी यातनाएँ भोगी होंगी, उनकी कल्पना करके भी मेरा मन सिहर उठता है। मध्यप्रदेश शांति का टापू था, आज अपराध का महाद्वीप बन गया है। 

पुलिस और प्रशासन ट्रासंफर पोस्टिंग में व्यस्त रहा: संदीप सिंह

ANI news के पत्रकार संदीप सिंह का कहना है कि 'सतना चित्रकूट अगवा में बच्चों को नहीं बचा पाई मध्यप्रदेश पुलिस। दोनो मासूम बच्चों की मिली लाश, अपहरण के बाद आरोपी आसानी से कर गए बॉर्डर पार। पुलिस और प्रशासन ट्रासंफर पोस्टिंग में रहा व्यस्त, शर्मनाक। 

चित्रकूट में तनाव, अब पुलिस भी तैनात

सतना जिले के चित्रकूट में तनाव के हालात बन गए हैं। श्रेयांश-प्रियांश के शव मिलने के बाद जनता आक्रोशित है और विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया है। इलाके में धारा 144 लगा दी गई है। बाजार बंद है। लोगों का कहना है कि यदि इतनी पुलिस श्रेयांश-प्रियांश की तलाश में लगाई जाती तो दोनों मासूम जिंदा होते। 

तबादलों के मामले में मुन्नी से ज़्यादा बदनाम कमलनाथ: नई कुर्रेशी

पत्रकार नईम कुर्रेशी ने लिखा: माननीय कमलनाथ जी, 15 दिन से आपके सूबे के चित्रकूट से अपह्रत जुड़वां मासूमों की लाश आपके शासन तंत्र की ऐसी नाकामी है, जिसका कलंक आपके माथे पर न जाने कब तक दिखाई देगा। नकारा प्रशासन 15 दिन में भी अपराधियों तक नही पहुंच सका और परिजनों को अपराधी फिरौती के लिये परेशान करते रहे। आख़िर मासूमों की दर्दनाक मौत से इस पकड़ का अंत हुआ। बेशक आपने सरकार गठन के बाद कई वचन पूरे किए हैं, मगर तबादलों के मामले में मुन्नी से ज़्यादा बदनाम भी हुए हैं। हो सके तो आईजी, कमिश्नर, कलेक्टर, एसपी, एसडीओपी, टीआई को इन मासूमों के ख़ून का तिलक लगाकर एक तबादला लिस्ट निकालें और इन्हें लूप लाईन में बैठाईए।

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