नीमच / कमलेश सारड़ा। जिस किसान आंदोलन के दम पर मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई, उस घटनाक्रम की रिपोर्ट को लेकर अब उलझने पैदा हो रही है। प्रदेश सरकार के गृह मंत्री द्वारा मामले के जांच आयोग की रिपोर्ट पटल पर रखने के बाद इस मामले में भारी राजनीतिक उछाल आई है। इसी के चलते पहली बार किसान आंदोलन के दौरान गोली चलाने वाले सीआरपीएफ कार्मिकों और पुलिसकर्मियों के नाम भी सामने आए हैं। आयोग की रिपोर्ट के हवाले से यह बड़ा खुलासा प्रकरण के याचिकाकर्ता अभिभाषक महेश पाटीदार ने किया है।
गौरतलब है कि 6 जून 2017 को मंदसौर जिले के पिपलियामंडी में उग्र आंदोलन हुआ था। भीड को नियंत्रित करना पुलिस और प्रशासन के लिए चुनौती बन गया था। इस दौरान हुई फायरिंग में 5 किसानों की मौत हो गई थी। पूरे मामले की जांच के लिए जैन आयोग का गठन किया गया था जिसने 367 दिनों में रिपोर्ट सरकार के सामने पेश की थी। इसमें 211 लोगों के बयान दर्ज हुए थे।
हाल ही में एक प्रश्न के जवाब में प्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन ने सदन में वह रिपोर्ट पेश की थी। जिसके हवाले से बताया जा रहा था कि तत्कालीन एसडीएम ने लोक सुरक्षा और संपत्ति की सुरक्षा की दृष्टि से नियमानुसार गोली चालन का आदेश दिया था। इस पर विपक्ष भाजपा ने पलटवार को सरकार को घेरा था। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने भी सवालिया निशान लगाए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ और गृहमंत्री को यूटर्न लेना पडा था।
जबकि याचिकाकर्ता महेश पाटीदार का कहना है कि पूरी रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं हो सका था कि गोली चालन का आदेश नियमानुसार था। गोलीचालन की दो अलग-अलग घटनाएं हुई जिनमें आए तथ्य भी विरोधाभासी हैं। इस पूरे मुद्दे को लेकर याचिका प्रस्तुत की है।
उन्होने खुलासा किया कि मंदसौर के पिपलियामंडी में हुए गोलीकांड को हत्याकांड कहा जाना चाहिए। पाटीदार ने कहा कि 6 जून को बही पाश्र्वनाथ चैपाटी पर दिन के पौने एक बजे सीआरपीएफ के जवान बी शाजी, विजय कुमार और अरुण कुमार द्वारा फायरिंग की गई थी तो चैपाटी से करीब डेढ़ किमी दूर थाने पर आरएपीटीसी इंदौर के जवान नंदलाल यादव, प्रकाश, अखिलेश गौर, नील बहादुर, हरिओम ने गोली चालन किया था। आयोग के हवाले से दी गई इस जानकारी के साथ पाटीदार ने यह भी कहा है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार और तत्कालीन प्रशासन द्वारा दी गई रिपोर्ट पूरी तरह जादूगरी और मनगढ़ंत है। इस मामले मे गृह मंत्री को अवगत कराया है। पूरे घटनाक्रम का रिव्यू कराया जा रहा है। न्याय जब तक नहीं मिल जाता तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।