भोपाल। सीएम कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में 1000 गोशालाएं बनाने का ऐलान तो कर दिया परंतु यह घोषणा अब सिरदर्द बन गई है। 1000 गोशालाओं के लिए जमीन का संकट है। इसके बाद उनके संचालक के लिए 150 करोड़ रुपए चाहिए जबकि सरकार के पास मात्र 50 करोड़ रुपए ही हैं। 100 करोड़ रुपए की भरपाई के लिए कमलनाथ सरकार भी भाजपा सरकारों की तरह नए टैक्स लगाने जा रही है।
मध्य प्रदेश सरकार बीजेपी शासित हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मॉडल का अध्ययन कर रही है। कमलनाथ सरकार राजस्थान मॉडल का भी अध्ययन कर रही है जहां पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सिंधिया ने गाय टैक्स लगाया था। राज्य के पशुपालन विभाग को 100 गायों को रखने लायक 1000 गोशालाएं बनाने के लिए 150 करोड़ रुपये की जरूरत है जबकि उसके पास मात्र 50 करोड़ रुपये है।
लोकसभा चुनाव से पहले 1000 गोशालाएं बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही मध्य प्रदेश सरकार ने राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए एक कमिटी का गठन किया है। इस कमिटी में हेल्थ, पंचायल, वन, राजस्व और पशुपालन विभाग के प्रमुख शामिल हैं। ये लोग गायों के कल्याण के लिए अन्य राज्यों के बजटीय प्रावधानों का अध्ययन कर रहे हैं।
जिन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, उनमें महंगी कारों पर सेस, स्टैंप ड्यूटी और टोल प्लाजा फीस पर सेस लगाया जाना शामिल है। अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि महंगी कारों से उनका क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि इस पर अभी विचार किया जा रहा है। एक अधिकारी ने कहा, 'यह योजना अभी अपने प्रारंभिक चरण में है। सीएम से सहमति मिलने के बाद यह तय करेंगे कितने दाम वाली कार इसमें आएगी और टैक्स का प्रतिशत क्या होगा।'
सरकार ने एक योजना यह बनाई थी कि मंदिरों की ऐसी जमीन जो इस्तेमाल में नहीं आ रही है, वहां पर गोशाला बनाई जाए लेकिन पुजारियों के विरोध के डर से इस योजना को बदल दिया गया। सूत्रों ने बताया कि सरकार मनरेगा के जरिए गायों के लिए आधारभूत ढांचे का निर्माण करा सकती है। एक गोशाला के लिए कम से कम एक एकड़ जमीन की जरूरत होगी। इसके अलावा भूसे को बनाने और उसको रखने के लिए भी जगह चाहिए।