भोपाल। मध्य प्रदेश की नई कांग्रेस सरकार में मलाईदार और संगठन में पद पाने के लिए कतार में खड़े नेताओं को खुश करने के लिए कांग्रेस ने नया फार्मूला ईजाद किया है। कांग्रेस ने पार्टी नेताओं से कहा है कि जो लोकसभा चुनाव में पार्टी को जिताने का काम करेगा उसे विधान परिषद में भेजा जाएगा।
पंद्रह साल बाद कांग्रेस के सत्ता पर काबिज होने के बाद उन कांग्रेसियों की उम्मीदों पर ग्रहण लग गया है जो निगम मंडल और संगठन में दमदार पद की आस लगाए बैठे थे। पार्टी ने फिलहाल पद और कुर्सी के लिए दबाव बना रहे नेताओं को दो टूक कहा है कि पहले लोकसभा चुनाव में पार्टी को जिताने का काम करो उसके बाद पार्टी दमदार पद से नवाजने का काम करेगी। कांग्रेस ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अपने वचन पत्र के मुताबिक विधान परिषद बनाने का काम करेगी, जिसमें पार्टी नेताओं और समाज के बड़े चेहरों को जगह दी जाएगी।
मध्यप्रदेश में विधान परिषद का गठन कैसे होगा
-इसके लिए विधानसभा में लाना होगा प्रस्ताव
-विधानसभा में दो तिहाई बहुमत होगा जरुरी
-विधानसभा के बाद लोकसभा में जाएगा प्रस्ताव
-संसद में कानून का रुप मिलने के बाद ही विधान परिषद का गठन होगा
-प्रदेश में अब तक विधानसभा परिषद की दो बार पहल हो चुकी है
-एक बार लोकसभा को प्रस्ताव भेजा जा चुका है
-दोनों पहल विफल साबित हो चुकी है
हालांकि यदि विधान परिषद का गठन होता है तो 77 संख्य़ा वाली विधान परिषद को गठन हो सकेगा। कांग्रेस ने अपने को वचन को पूरा करने का भरोसा दिलाकर साफ कर दिया है कि यदि लोकसभा चुनाव में पार्टी बेहतर नतीजे लाती है और केंद्र में कांग्रेस सत्ता में आती है तो विधान परिषद में पार्टी नेताओं को जगह मिल सकेगी। वहीं दूसरी ओर BJP ने कांग्रेस के विधान परिषद के गठन करने को ख्वाब बताया है।