भोपाल। मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के आह्वान पर प्रदेशभर के तहसीलदार 7 दिन का अर्जित अवकाश लेकर बुधवार से छुट्टी पर चले गए। जिले के सभी तहसीलदारों ने बुधवार को इकट्ठा होकर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव को छुट्टी का आवेदन सौंपा। तहसीलदारों के छुट्टी पर चले जाने से तहसीलों में नामांतरण, बंटवारा और राजस्व वसूली जैसे महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित होंगे। पहले से ही राजस्व वसूली में पिछड़ रहे जिले में राजस्व का काम सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। वहीं प्रतिदिन तहसीलों में आने वाले सैकड़ों आवेदकों के काम भी नहीं हो पाएंगे। हालांकि तहसीलदारों की अनुपस्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था में SDM को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
पिछले दिनों उज्जैन के तहसीलदार अनिरुद्ध मिश्रा और भिंड की तहसीलदार नीना गौर को अवकाश पर चले जाने के कारण नियम विरुद्ध बगैर कारण जाने निलंबित कर दिया गया था। तहसीलदारों पर की गई इस कार्रवाई का विरोध करते हुए तहसीलदारों ने 16 फरवरी को प्रमुख सचिव राजस्व के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में कार्रवाई को गलत बताते हुए तहसीलदारों ने 18 फरवरी तक न्याय देने की मांग करते हुए चेतावनी दी थी कि यदि निलंबन समाप्त नहीं किया गया तो 20 फरवरी से प्रदेशभर के तहसीलदार अर्जित अवकाश लेकर एक सप्ताह तक काम नहीं करेंगे, लेकिन शासन ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया। विरोध स्वरूप मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के निर्णय अनुसार बुधवार को सभी तहसीलदारों ने जिला प्रमुख को अर्जित अवकाश का आवेदन सौंपकर काम बंद किया।
जिले की सभी तहसीलों में तहसीलदारों द्वारा सात दिन के अवकाश पर चले जाने से तहसील के काम प्रभावित होंगे। तहसीलदारों के काम बंद करने से कई मामले उलझ जाएंगे। नवगठित तहसीलों के बाद लोक अदालत में लिए गए निर्णयों को ऑनलाइन करने का काम 28 फरवरी तक ही होना है। निर्णय के बाद इन आदेशों की प्रति आवेदक को नहीं मिल पाएगी। जब तक आदेश RCMS पर दर्ज नहीं हो जाते नकल मिलना मुश्किल होगी। वहीं एक सप्ताह के अवकाश के कारण राजस्व के मामलों की संख्या में भी वृद्धि होगी। लोकसभा चुनाव से पहले इस तरह अवकाश पर तहसीलदारों के चले जाने से कई काम प्रभावित होंगे।