भोपाल। गुजरात सरकार ने अपने सहकारी ब्रांड अमूल के माध्यम से ऊंटनी के दूध की बिक्री शुरू कर दी है। बाजार में इसकी बेहद मांग है और अमूल आपूर्ति नहीं कर पा रहा है। अब मध्यप्रदेश सरकार अपने ब्रांच सांची के माध्यम से बकरी के दूध की बिक्री शुरू करने जा रही है। इसे महात्मा गांधी के नाम से जोड़ा जा रहा है। बता दें कि यह महात्मा गांधी का 150वीं जयंती वर्ष है।
बकरी का दूध उपलब्ध करवाने के पीछे शासन का तर्क है कि यह महात्मा गांधी की जयंती का 150वां वर्ष है। उन्हें बकरी का दूध पसंद था इसलिए भी इसे आम लोगों को उपलब्ध करवाने के लिए मिल्क पार्लर पर इसे रखा जाएगा। इसकी कीमत गाय के दूध की कीमत से ज्यादा रखी जाएगी। पशुपालन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में करीब 80 लाख बकरे-बकरियां हैं। बुरहानपुर और मालवा क्षेत्र में ऐसे किसान चिन्हित किए गए हैं जो बकरी पालन करते हैं। इनसे ही शुरुआत में दूध लिया जाएगा। इसके बाद मांग बढ़ने पर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के किसानों से भी दूध लेना शुरू किया जाएगा। अधिकारियों का दावा है कि आमतौर पर गाय-भैंस का दूध ही बाजार में उपलब्ध हो पाता है बकरी का दूध कई बीमारियों का रामबाण इलाज और औषधीय गुणों से भरपूर है इसलिए इसकी मांग भी अच्छी रहेगी।
बकरी के दूध से क्या फायदा होता है
बकरी के दूध में फैटी एसिड और ट्राई ग्लिसराइड जैसे तत्व होते हैं। यह कोलेस्ट्राल नियंत्रण में फायदेमंद हैं। इसमें मिल्क प्रोटीन और कैल्शियम, मैग्नेशियम , फॉस्फोरस, पोटेशियम जैसे मिनरल्स के साथ ही विटामिन ए, बी2, सी और डी भी होता है। अधिकारियों के मुताबिक वैद्यकीय, आयुर्वेदिक उपयोग के चलते इसकी काफी मांग है। इसलिए दुग्ध संघ अपने क्षेत्र में बकरी के दूध का संग्रहण करेगा। इसकी पैकिंग कर उपलब्ध करवाया जाएगा।
डेंगू के इलाज में उपयोगी :
बकरी के दूध को डेंगू के इलाज में औषधि के तौर पर प्रयोग किया जाता है। औषधीय गुणों के कारण यह विशेष गंध वाला होता है। बकरियां सामान्यत: औषधीय पौधों को ही अपना आहार बनाती हैं और उनके दूध में इसकी गंध होती है । लेकिन यह सिर्फ डेंगू ही नहीं बल्कि इसमें कई अन्य कई बीमारियों को जड़ से खत्म करने की क्षमता है। इसके अलावा पाचन विकार, दमा, अल्सर, एलर्जी, सूखा रोग, क्षय रोग में लाभकारी है। अधिकारियों ने बताया कि विभाग के मंत्री लाखन सिंह यादव ने भी सभी क्षेत्रों में इसे जल्द उपलब्ध करवाने के लिए कहा है।