भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के समय विस्तारित हुई जन अभियान परिषद (JAN ABHIYAN PARISHAD) को भंग करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। संविदा पर नियुक्त किए गए सभी कर्मचारियों की संविदा अवधि 31 मार्च 2018 को समाप्त हो जाएगी। दैनिक वेतन भोगी एवं अन्य कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की जा रहीं हैं एवं शासन के नियमित कर्मचारियों को मूल विभाग में भेजा जा रहा है। बता दें कि कांग्रेस ने चुनाव पूर्व आरोप लगाया था कि जन अभियान परिषद में आरएसएस और भाजपा के लोगों को नियुक्त किया गया एवं अनावश्यक प्रोजेक्ट दिए गए। जन अभियान परिषद के लोगों ने चुनाव में भाजपा का प्रचार किया।
बजट रोका, योजनाएं बंद, कोर्स शिक्षा विभाग चलाएगा
योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग को भी कह दिया गया है कि वह परिषद द्वारा संचालित सात योजनाओं (प्रस्फुटन, नवांकुर, संवाद, समृद्धि, विस्तार, दृष्टि व सृजन) का बजट भी रोक दिया जाए। कार्यकारिणी बैठक में कार्यपालक निदेशक ने बताया कि मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम का संचालन परिषद कर रहा है। आदिम जाति कल्याण विभाग के सहयोग से यह 20 जिलों के 89 अनुसूचित जनजाति ब्लॉक में चलता था, लेकिन इसे बचे हुए 224 ब्लॉक में भी चलाया गया। इसकी संबद्धता महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विवि सतना से है। इसमें भी अब किसी नए छात्र का प्रवेश नहीं होगा। अब इन्हें शिक्षा विभाग की ओर से चलाया जाएगा। अतिथि शिक्षक पढ़ाएंगे। एक साल में सर्टिफिकेट कोर्स और दो साल में डिप्लोमा कोर्स की मान्यता दी जाएगी।
परिषद भंग करने के लिए कमेटी
योजना, श्रम व विधि विभाग के प्रमुख सचिवों की कमेटी बनाई गई है, जो जन अभियान परिषद को भंग के संबंध में प्रतिवेदन देगी। इसी तरह संविदा आधार पर रखे गए 14 अधिकारी व कर्मचारियों की संविदा अवधि 31 मार्च 2018 के बाद नहीं बढ़ाई गई है, लिहाजा नोटिस के साथ एक माह का वेतन देकर उनकी संविदा सेवा समाप्त की जाएगी। परिषद में 66 चतुर्थ श्रेणी के दैनिक वेतन भोगी रखे थे। इनकी सेवाएं 89 दिन लेने का प्रावधान है, इसके बाद उन्हें बार-बार बढ़ाया। अब इनकी सेवाएं नहीं ली जाएंगी।
राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु
जन अभियान परिषद के कर्मचारियों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि जब कर्मचारियों का नियोजन किया गया, तब उनकी औसत आयु लगभग 27 वर्ष थी। परिषद के कर्मचारियों ने लोकहित में बहुत काम किए। दिसंबर 2018 के बाद परिषद के किए कार्यों को नजरअंदाज किए जाने लगा और समस्त उपलब्धियों को झूठा बताया जाने लगा। परिषद के कामों को विशेष विचारधारा से जोड़ा जाने लगा। कर्मचारियों ने कहा कि सरकार परिषद को भंग करने पर आमादा है। कर्मचारियों का परिवार उन पर निर्भर है। ऐसे में वे बेरोजगार हो जाएंगे। इस कारण उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान की जाए।