ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने लोकतंत्र सेनानी संघ की तरफ से मीसाबंदियों की पेंशन बंद करने के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया जिसमें प्रदेश सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि समिति को यह याचिका लगाने का कोई अधिकार नहीं है.
दरअसल, कांग्रेस के कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आने के बाद कई सालों से दी जा रही मीसा बंदियों की पेंशन पर रोक लगाने का आदेश दिया था. इसके पीछे सरकार की मंशा थी कि सही और पात्र व्यक्ति को ही पेंशन का लाभ मिले, जबकि कुछ शिकायतों में पाया गया था कि अपात्र लोग इस पेंशन का लाभ ले रहे हैं.
सरकार ने विरोध के बावजूद कहा था कि मीसा बंदियों का पहले भौतिक सत्यापन होगा उसके बाद ही पेंशन की राशि दी जाएगी. इस बीच मीसा बंदियों के संगठन लोकतंत्र सेनानी संघ ने लोक समानता समिति के नाम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी. जिसमें सरकार के फैसले को अनुचित बताया और कहा कि इससे मीसा बंदियों की तकलीफें कम होने के बजाय बढ़ जाएंगी. कई लोग तो इसी पेंशन पर आश्रित हैं.
उनके सामने रोटी- रोजी का संकट पैदा हो गया है. हाई कोर्ट ने इस मामले में सरकार को नोटिस जारी किया था. जिस पर सरकार ने जवाब भी पेश किया था. सरकार का कहना था कि उसने पेंशन पर रोक नहीं लगाई है, बल्कि उसका मकसद पात्र लोगों की पहचान करना है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इसे याचिका के रूप में व्यक्तिगत रूप से लगाया जा सकता है, लेकिन समिति को याचिका लगाने का कोई अधिकार नहीं है. इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कोर्ट को जवाब नहीं दे सके और उन्होंने अपनी याचिका को वापस ले लिया.