भोपाल। मध्य प्रदेश में संविदाकर्मी एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं। वो लंबे समय से संविदा कर्मचारी नियमितीकरण और बहाली की मांग कर रहे हैं। पिछली सरकार के सामने अपनी मांगो को मनवाने के लिए संविदाकर्मियों ने कई आंदोलन और प्रदर्शन किए थे, जिसके बाद सरकार ने नरमी दिखाई। सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार से संविदाकर्मियों की उम्मीद बनी, लेकिन संविदाकर्मियों के नियमितीकरण में एक बार फिर पेंच फंस गया हैै।
कमलनाथ सरकार द्वारा मामले के निपटारे के लिए समिती का गठन किया गया है। सरकार के इस कदम से संविदाकर्मियों में निराशा है। संविदाकर्मियों में सरकार से नाराज़गी इस बात को लेकर है कि सरकार बनने के डेढ़ महीने बाद सरकार कमेटी बनाती है तो वचन कैसे पूरे होंगे।विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने सरकार बनते ही वचन पूरा करने का वादा किया था लेकिन अब तक फैलसे पर मोहर नहीं लगी है।
विधानसभा चुनाव में कमलनाथ सरकार ने इस मुद्दे को अपने चुनावी वचन पत्र में शामिल किया था. वचन पत्र में कांग्रेस ने रोजगार सहायक, अतिथि शिक्षक एवं समस्त संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और जिन संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है, उन्हे फिर से नौकरी में वापस रखने की घोषणा की थी लेकिन सरकार बनने के दो माह बाद इन पर विचार किया गया और अब लोकसभा चुनाव के पहले तीन मंत्री, गोविंद सिंह, डॉ. प्रभुराम चौधरी व तरुण भनोट के निर्देशन में एक कमेटी बना दी है। इस कमेटी को 90 दिन में मांगों के संबंध में प्रतिवेदन सौंपना है।
संविदा कर्मचारियों का कहना है की इस बार कॉग्रेस सरकार को वे 19 फरवरी का अल्टीमेटम दे रहे हैं अगर इस तारीख तक सरकार ने संविदाकर्मियों की मांगे नहीं मानी तो 20 फरवरी से सभी विभाग के संविदाकर्मी एकजुटता के साथ फिर से कामकाज ठप्प कर आंदोलन की राह पर निकलेंगे।