भोपाल। एक तरफ सत्ता पक्ष के वरिष्ठ सदस्य विधानसभा में दिए गए बयान के लिए अपने ही मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से फटकार लगा रहे हैं, वहीं कांग्रेस विधायक और सरकार के मंत्री अपने आचरण से सदन की गरिमा को चोट पहुंचा रहे हैं। कांग्रेस को अपने विधायकों और मंत्रियों को संसदीय परंपराओं को ध्यान रखना और सदन का सम्मान करना सिखाना चाहिए। यह बात नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव ( Gopal Bhargava ) ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों और मंत्रियों द्वारा कार्रवाई को बाधित किए जाने पर टिप्पणी करते हुए कही।
विधानसभा सत्र के अंतिम दिन गुरुवार को सदन की कार्रवाई शांतिपूर्ण ढंग से चल रही थी, लेकिन सत्ता पक्ष विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ के आसपास झुंड बनाकर खड़े हो गए। इस पर नेता प्रतिपक्ष द्वारा आपत्ति लिए जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री से विधायकों को समझाने के लिए कहा। इसके बाद विधायक वहां से हटे लेकिन शून्यकाल में जब विपक्षी सदस्य बोल रहे थे, तब सत्ता पक्ष के करीब दर्जन भर विधायक मंत्री प्रियव्रत सिंह, सुखदेव पांसे और जयवर्धन सिंह को घेर कर खड़े हो गए। अध्यक्ष एनपी प्रजापति द्वारा कई बार चेतावनी दिए जाने के बाद भी जब मंत्री और विधायकों पर असर नहीं हुआ, तो सदन की कार्रवाई स्थगित करना पड़ी।
इस पर टिप्पणी करते हुए नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव ने कहा कि विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्रवाई में बाधा पड़ने के मौके तो कई बार आते हैं, लेकिन इस तरह के अवसर बिरले ही होते हैं, जब सत्ता पक्ष के लोगों के कारण सदन की कार्रवाई स्थगित करना पड़े। श्री भार्गव ने कहा कि सत्ता पक्ष के वरिष्ठ नेता ही जब असंसदीय आचरण कर रहे हों, तब युवा विधायकों और मंत्रियों से क्या उम्मीद की जा सकती है। श्री भार्गव ने कहा कि सत्ता पक्ष के वरिष्ठ नेताओं को चाहिए कि वे अपने निजी एजेंडा और गुटीय खींचतान को एकतरफ रखकर अपने युवा विधायकों और मंत्रियों को सदन की परंपराओं की जानकारी दें और उसकी गरिमा का सम्मान करना सिखाएं।