भोपाल। पंचायत सचिव संगठन का कहना है कि नव-निर्वाचित राज्य सरकार द्वारा जय किसान ऋण मुक्ति योजना में प्रदेश के 23 हज़ार पंचायत सचिवों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौपी गई है, पंचायत सचिवों की सक्रियता और पारदर्शिता के कारण ही सहकारी समितियों की गड़बड़ी सामने आई है, इसके पहले भी 2009 में केंद्र सरकार ने किसानो के ऋणों को माफ़ किया था, किन्तु गड़बड़ियां सामने नही आ पाई थी।
लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ, अलग ये हुआ योजना का प्रचार-प्रसार, किसानों को जानकारी देना, किसानों के आवेदन जमा करने एवम 52 हज़ार ग्रामों के प्रत्येक ग्रामवासियों तक ऋणमाफी योजना को कम समय में पहुँचाने का काम राज्य सरकार ने पंचायत सचिवों को सौप दिया। पंचायत सचिव भी सरकार के विश्वास पर खरे उतरते नजर आ रहे है, पंचायत सचिवों की सक्रियता एवम पारदर्शितापूर्ण कार्यप्रणाली से कमलनाथ सरकार की जय किसान ऋण माफी योजना की जानकारी बगैर करोङों के विज्ञापनों के प्रदेश मे हर किसी नागरिक को हो चुकी है यहाँ तक कि सहकारी समितियों का फर्जीवाड़ा भी सामने आ गया है साथ ही किसानों के बगैर बैंक में चक्कर काटे सारा काम पूर्णता पर है।
पंचायत सचिव संगठन के प्रदेश प्रवक्ता के.के.साहू का कहना है- राज्यसरकार ने प्रदेश के पंचायत सचिवों पर ऋणमाफी जैसी बड़ी योजना की जिम्मेदारी सौंपी तो हमने भी योजना को सफल बनाने में जी-जान लगा दिया है, सपने भी हमे अब ऋण माफी योजना के ही आ रहे हैं, लेकिन दुःखद पहलू ये है कुछ जिलो में जिला कलेक्टर और सीईओ पंचायत सचिवों पर अवार्ड लेने की लालसा में अवांछित कार्यवाही कर रहे हैं, सरकार से भी हम आशा करते है, हमे शीघ्र राज्य कर्मचारी का दर्जा देगी एवम हमारी मांगो की निराकरण करेगी