पढ़िए एक हाउसवाइफ का MPPSC में सिलेक्शन कैसे हुआ | INSPIRATIONAL STORY

Bhopal Samachar
भोपाल। लड़की की यदि शादी हो जाए तो जिंदगी ही बदल जाती है। यहां तक कि लड़कियों का अपने लिए नजरिया भी बदल जाता है। संतान प्राप्ति के बाद तो जैसे पिछली सारी जिंदगी बस एक कहानी बनकर रह जाती है। उसकी सारी योग्यता और डिग्रियां फाइल में बंद हो जातीं हैं परंतु रितु मुदगल की बात और थी। 29 साल की उम्र में उन्होंने MPPSC की परीक्षा देना शुरू किया और 32 की उम्र में जाकर सफलता हासिल कर ली। वो अपनी इस सफलता का श्रेय ट्रिपल P को देतीं हैं, ट्रिपल P यानी पिता, पति और पुत्र। 

रितु ने बताया कि परिवार की जिम्म्देरी संभालते हुए 29 साल की उम्र में पीएससी करने का मन बनाया था और शुरुआत की थी। पहले कई लोगों ने कहा कि कैसे करोगी, मत करो, बहुत मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन मैंने ठान लिया था कि कुछ करना ही है। रितु अपने परिवार की पहली बेटी हैं जो एमपीपीएससी में सिलेक्ट हुईं। उन्होंने 47वीं रैंक हासिल की। इस सक्सेस के पीछे वो तीन P का हाथ मानती हैं। ये हैं पिता, पति और फिर पुत्र। इन दोनों के सपोर्ट के बिना ये सक्सेस मुमकिन नहीं थी। पढ़ाई में होशियार होने के साथ ही रितु बेहतरीन सिंगर भी हैं। भजन गायन और कुकिंग उनकी हॉबी है। इसपर भी इंटरव्यू में कई सवाल हुए थे।

देखा था कुछ अलग करने का सपना, शादी के बाद की तैयारी

रितु मूलतः मुरैना की रहने वाले हैं। उन्होंने कैमस्ट्री से एमएससी की पढ़ाई की। एमपीएससी में सफलता को लेकर वो कहती हैं, बचपन से सपने देखने का शौक था। सोचा था लाइफ में कुछ अलग करना है। बीएड भी किया है। टीचिंग एग्जाम भी पास किए हैं। करियर के तौर पर टीचिंग तो एक ऑप्शन था ही, लेकिन एडमिनिस्ट्रेशन फील्ड में मेरा इंटरेस्ट ज्यादा था।

2010 में रितु की शादी हुई। पति विनायक शर्मा टेलिकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट में डीएसपी हैं। उनके सपोर्ट के बिना ये सक्सेस मिलना मुश्किल था। 2015 में पति की पोस्टिंग भोपाल हुई और बेटा भी स्कूल जाने लगा तो लगा तो रितु को लगा कि यही कुछ करने का समय है और फिर पीएससी की तैयारी शुरू कर दी।

तीसरी कोशिश में मिली सफलता

कहते हैं कि जब इच्छाशक्ति मजबूत होती है, सफलता जरूर मिलती है। तीसरी कोशिश में सफलता पाने वाली रितु का यही सक्सेस मंत्र रहा। इससे पहले दो बार में वो सेल्फ स्टडी से इंटरव्यू तक पहुंच गई थीं। लेकिन सफल नहीं हो पाईं तो लगा कि कुछ कमी रह गई है। इसलिए तीसरे मौके पर कोचिंग ज्वाइन की और रेगुलर पढ़ाई की। इससे पहले तक वो हसबैंड और बहन (जो इसी एग्जाम की तैयारी कर रही है) से गाइडेंस लिया करती थीं।

टारगेट पर फोकेस जरूरी

रितु कहती हैं परिस्थितियां कभी भी किसी इच्छाशक्ति के बीच में नहीं आती हैं। हमेशा हमें अपने टारगेट पर फोकस करना चाहिए। फैमिली की जिम्मेदारियों के बीच मुझे जब टाइम मिलता था तो मैं पढ़ाई करती थी। सुबह जल्दी उठना और रात को देर से सोना। घर का काम जैसे कुकिंग करते हुए बीच-बीच में पढ़ाई करती रहती थी।

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