नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता मनन मिश्र के नेतृत्व में वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने अपनी चिंताओं और मांगों के सम्बन्ध में आज केन्द्रीय कानून मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद से भेंट की। प्रतिनिधिमंडल में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य और वकीलों की विभिन्न एसोसिएशनों के पदाधिकारी भी शामिल थे। इस मौके पर राज्य सभा सांसद और उच्चतम न्यायालय के जाने-माने अधिवक्ता तथा अधिवक्ता परिषद के प्रतिनिधि श्री भूपेन्द्र यादव भी उपस्थित थे।
बैठक में विभिन्न अधिवक्ता संगठनों के नेताओं ने अपनी चिंताओं और मांगों को रखा और मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। इस बारे में आम सहमति बनी कि बीमा कवर की सुरक्षा प्रदान करने की संरचित योजना पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। इस योजना में असामयिक मृत्यु, मेडिकल बीमा आदि से जुड़ी चिंताओं को दूर किया जाए। कानून मंत्री ने इस मांग से सहमति व्यक्त की और कहा कि इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। तदनुसार एक समिति गठित की जाएगी, जिसमें वकील समुदाय और सरकार के प्रतिनिधि शामिल होंगे जो एक विस्तृत योजना पर कार्य करेंगे। इस योजना में केन्द्र और राज्य सरकारों की सहायता, राज्य बार काउंसिल और अधिवक्ता कल्याण कोष को चला रहे प्रतिनिधियों को शामिल किया जा सकता है।
केन्द्रीय कानून मंत्री ने अधिवक्ताओं के प्रतिनिधियों को बताया कि सरकार देशभर में जिला और मुफस्सिल अदालतों में वकील हॉल स्थापित करने को बढ़ावा देना चाहती है। श्री प्रसाद ने कहा कि 1993-94 से सरकार विभिन्न राज्य सरकारों और संघ शासित सरकारों को 6670 करोड़ रूपये की आर्थिक मदद दे चुकी है जिनमें से 3225 करोड़ रूपये देशभर की जिला और अधीनस्थ न्याय व्यवस्था के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केन्द्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत वित्त वर्ष 2014-15 से प्रदान किए गए हैं। यह राशि योजना के अंतर्गत राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को प्रदान की जाने वाली कुल आर्थिक मदद का 48% है। उन्होंने बताया कि करीब 20000 अदालतों को सुरक्षित ब्रॉड बैंड नेटवर्क के जरिये जोड़ा जा चुका है और अदालतों में चल रहे मामलों के बारे में वकीलों और वादी को एक क्लिक में जानकारी मिल सकती है। अंत में श्री प्रसाद ने वकीलों से अपना आंदोलन वापस लेने की अपील की क्योंकि केन्द्र सरकार ने उनकी मांगों पर खुले दिमाग से विचार करने का फैसला किया है।