सियोल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर गुरुवार तड़के दक्षिण कोरिया पहुंचे। सियोल में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, ''हमारा लक्ष्य अगले 15 साल में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल होना है। हमें दुनिया में महात्मा गांधी की विरासत का प्रसार करना चाहिए। शुक्रवार को मुझे शांति पुरस्कार दिया जाएगा। यह मेरा नहीं है, बल्कि मैं 130 करोड़ भारतीयों और विदेश में रहने वाले 3 करोड़ भारतीयों की ओर से इसे लेने आया हूं। यह पुरस्कार भारतीयों के परिश्रम की निशानी है।''
मोदी ने कहा- ''महात्मा गांधी कहा करते थे कि परमात्मा ने मनुष्य की जरूरत (नीड) के लिए सबकुछ दिया है, लेकिन मनुष्य की ग्रीड के लिए यह सारी चीजें कम पड़ जाएंगी। इसलिए मनुष्य को नीड के हिसाब से जीवन बिताना चाहिए, न कि ग्रीड के हिसाब से। गांधीजी के समय में कोई ग्लोबल वॉर्मिंग पर चर्चा नहीं होती थी। उन्होंने कोई कार्बन फुटप्रिंट्स नहीं छोड़े। उन्होंने हमेशा आने वाली पीढ़ी के लिए संसाधन छोड़ने की बात कही। वे कहते थे कि अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हम अपने बच्चों का हिस्सा खा लेंगे, उनका अधिकार ले लेंगे। मानवजाति आज आतंकवाद के संकट से जूझ रही है। गांधीजी का संदेश अंहिसा के माध्यम से, हृदय परिवर्तन के माध्यम से हिंसा के रास्ते पर गए लोगों को लौटाने का, मानवीय शक्तियों के एकत्र होने का संदेश आज भी लोगों को देता है।''
मोदी सियोल शांति पुरस्कार पाने वाले 14वें व्यक्ति हैं। यह पुरस्कार 1988 में सियोल ओलिंपिक के सफल आयोजन के बाद शुरू किया गया था। इससे पहले मोदी ने महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। वे राष्ट्रपति मून जे-इन से स्पेशल स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप को मजबूत करने पर बातचीत करेंगे।
चुनाव से पहले मोदी का अंतिम दौरा
लोकसभा चुनाव से पहले मोदी का यह अंतिम विदेश दौरा माना जा रहा है। हालांकि, उनके भूटान यात्रा पर भी जाने की चर्चा है, मगर इसके लिए दोनों देशों की ओर से अब तक कोई तारीख तय नहीं की गई है। इस बीच, दक्षिण कोरियाई राजनयिक ने सियोल में कहा कि 2017 में सत्ता पाने के बाद राष्ट्रपति मून ने देश के पारंपरिक फोकस (जिसमें यूएस, जापान, चीन और रूस शामिल है) के अलावा सदर्न पॉलिसी के तहत भारत को भी इसमें शामिल किया था।