नई दिल्ली। भारत ने सोमवार शाम को दिल्ली में शहीदों को श्रद्धांजलि दी और इसके ठीक बाद वायुसेना के लड़ाके हमले के लिए निकल गए। इस हमले की योजना तैयार करने में कुल 200 घंटे का समय लगा और तय किया गया था कि वीरों की 13वीं से पहले हमला कर दिया जाएगा। सोम-मंगल की दरम्यानी रात जब भारत के फाइटर हवाई जहाजों ने उड़ान भरी तब से लेकर उनके सकुशल लौट आने तक पीएम नरेंद्र मोदी ना केवल जागते रहे बल्कि पल-पल की खबर लेते रहे। उन्होंने सुबह 4.30 बजे ऑपरेशन में शामिल पायलट्स को बधाई दी। इसके बाद वे अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गए। उन्होंने सुबह 10 बजे केबिनेट की बैठक ली।
बालाकोट एजेंसियों के राडार पर था
सूत्रों ने बताया कि सरकार को पुलवामा हमले (14 फरवरी) के दो दिन बाद ही इंटेलिजेंस एजेंसियों से यह सूचना मिली थी कि जैश-ए-मोहम्मद, देश में ऐसा ही एक दूसरा हमला करने की योजना बना रहा है। इसके बाद से ही बालाकोट, एजेंसियों के राडार पर था, क्योंकि इसे जैश का गढ़ माना जाता है। एजेंसियों को पूरा भरोसा था कि पुलवामा हमले की योजना बालाकोट में ही बनी थी। इस कैंम्प को जैश प्रमुख मसूद अजहर और उसका साला युसूफ अजहर लीड करता था।
बदला लेने का एकमात्र जरिया थी एयर स्ट्राइक
हमले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाईप्रोफाइल मीटिंग हुई थी। इसमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सुरक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, अजीत डाेभाल, एयर चीफ मार्शल बीरेंदर सिंह धनोआ मौजूद थे। इसमें तय किया गया कि सुरक्षा बलों के जवानों की मौत का बदला लेने का एकमात्र जरिया एयर स्ट्राइक ही है। इसी के जरिए जैश-ए-मोहम्मद के कैम्पों को नष्ट किया जा सकता है।