छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद ज़िले में स्थित गुरुर के ग्राम कर्रेझर के आश्रित ग्राम ओनाकोना का त्रयंबकेश्वर धाम जिले में सबसे सुंदर पर्यटन स्थल के रूप में माना जाता है। गंगरेल बांध के डूबान में समुद्री नज़ारे के बीच यहां प्राकृतिक सौंदर्य का दीदार किया जा सकता है। मंदिर के एक तरफ सिर्फ पानी और दूसरी तरह सिर्फ पहाड़ी है, जो लोंगो का ध्यान खिचती है। मंदिर सहित गंगरेल डूबान के किनारे खूबसूरत नजारे देखने लोग यहां पहुंचते हैं।
ओनाकोना का त्रयंबकेश्वर धाम
ये रखें सावधानी: यहां आने वाले लोग झरनों के बीच मस्ती करते हैं। कुछ साल पहले झरने के जलकुंड में गिरने से दो युवकों की मौत हो चुकी है। तब से मंदिर समिति भी लोंगो को आगाह करती है कि ज्यादा पानी होने पर झरने के पास न जाए। दूर से ही देखे। रात में रुकने लायक ये जगह नहीं है।
कैसे जाए: बालोद धमतरी मार्ग से घोटिया चौक या सांकरा क से यहां जाने के लिए सड़क बनी है। यात्री बस नहीं चलती। लोगो को निजी वाहनों से ही जाना पड़ता है। बस बुक करवा कर अधिकतर लोग सैकड़ों की संख्या में यहां आते है। बालोद से ज्यादा दुर्ग, भिलाई व अन्य जिले के लोग आते हैं।
सियादेही: झरने, गुफाएं सहित कई मंदिर करते हैं आकर्षित
गुरुर ब्लाक के ग्राम नारागांव के सियादेही का नाम भी धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां के झरने और गुफाएं सहित आकर्षक मंदिर देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है। बरसात में यहां का नजारा मनोरम रहता है। हरी भरी वादियों के बीच पहाड़ों में माता का मंदिर है। इस मंदिर में जाने से पहले लोग रास्ते में पड़ने वाले रानी माई मंदिर का भी दर्शन करते है। पिकनिक के लिए बेहतर स्थान है।
तांदुला से एक किमी दूर पर बेंदराकोना है। जो तांदुला का ही एक हिस्सा है। यह एक अनजान जगह। अधिकतर पर्यटकों को इस स्थान के बारे में ज्यादा मालूम नहीं है। हालाकि ये स्थान दुर्गम है। गाड़ी आधे रास्ते तक जाती है। जानकारी होन पर पर्यटक तांदुला डेम छोड़कर यहां मयूर भी देखने को पहुंच जाते हैं।
बेन्दराकोना: मयूर भी देखे जा सकते हैं
बालोद मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचेंगे। राज्य में धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में झलमला के गंगा मैय्या का नाम विख्यात है। यहां राज्य सहित देश के अलग जगहों से भी भक्त माता के दर्शन के लिए आते है। यहां कैलाश गुफा, पानी का फाउन्टेन, नवरात्रि का मेला आकर्षण का केंद्र है।
गंगा मैय्या: देशभर से दर्शन के लिए आते हैं
ग्राम पंचायत खेरथाडीह के पास 60 साल पुराने गोंदली डेम की सुंदरता भी किसी से छिपी नहीं है। तांदुला की तरह ये डेम भी लोंगो का ध्यान खिचती है। पिछले साल इस डेम में फ़ीस प्लांट की स्थापना भी की गई है। जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है। यहां की हरियाली देखने लायक रहती है।
कैसे पहुंचे : बालोद लोहारा मार्ग में तरौद से गोंदली डेम जाने के लिए रास्ता है। तरौद से ये पांच किमी दूर है। वहां बस नहीं जाती। निजी वाहनों से ही जाना पड़ता है। पक्की सड़क है। दल्ली, धमतरी, बालोद क्षेत्र वालो को सीधे दैहान अमलीडीह होते हुए आना पड़ता है।
गोंदली डेम: हुई है फीस प्लांट की स्थापना
प्राकृतिक सौंदर्य से भरा तांदुला डेम को जिले की जीवनदायी मानी जाती है। आसपास हरियाली की चादर बिखरी हुई है। दूर-दूर से पर्यटक यहां आते है। लहरों के बीच मस्ती व शेल्फी लेने के लिए पर्यटक पहुंचेंगे। कुछ ही दूरी पर आदमाबाद रेस्ट हाउस है।
कैसे पहुंचे: डेम तक पहुंचने बस या ट्रेन की सुविधा नहीं है। डेम दो भाग में है। जहां मेन गेट है। वहां झलमला से निजी वाहन से ही पहुंचा जा सकता है। वही एक भाग जिसे उलट कहा जाता है। वहां बालोद होकर पहुंचा जा सकता है। रास्ता बालोद से दल्ली राजहरा रोड पर है। कालेज के पास बस से उतर कर पैदल पर्यटक पहुंच सकते हैं।