प्राचीन श्री कर्णेश्वर धाम की कथा | SHRI KARNESHWAR DHAM HISTORY N STORY

Bhopal Samachar
सतेन्द्र यादव। मालवांचल में कौरवों ने अनेक मंदिर बनाएँ थे जिनमें से एक है सेंधल नदी के किनारे बसा यह कर्णेश्वर महादेव का मंदिर (SHRI KARNESHWAR MAHADEV MANDIR)। करनावद (कर्णावत) | KARNAWAD (KARNAVAT) नगर के राजा कर्ण (RAJA KARN) यहाँ बैठकर ग्रामवासियों को दान दिया करते थे। इस कारण इस मंदिर का नाम कर्णेश्वर मंदिर पड़ा। ऐसी मान्यता है कि कर्ण यहाँ के भी राजा थे और उन्होंने यहाँ देवी की कठिन तपस्या की थी। कर्ण रोज देवी के समक्ष स्वयं की आहूती दे देते थे। देवी उनकी इस भक्ति से प्रसन्न होकर रोज अमृत के छींटें देकर उन्हें जिंदा करने के साथ ही सवा मन सोना देती थी। जिसे कर्ण उक्त मंदिर में बैठककर ग्रामवासियों को दान कर दिया करते थे।

पांडवों ने पाँचों मंदिर एक रात में पूर्वमुखी से पश्चिम मुखी कर दिया था


मालवा और निमाड़ अंचल में कौरवों द्वारा बनाए गए अनेकों मंदिर में से सिर्फ पाँच ही मंदिर (5 HISTORICAL TEMPLE OF LORD SHIVA IN MP) को प्रमुख माना गया हैं जिनमें क्रमश: ओंमकारेश्वर में ममलेश्वर, उज्जैन में महांकालेश्वर, नेमावर में सिद्धेश्वर, बिजवाड़ में बिजेश्वर और करनावद में कर्णेश्वर मंदिर। इन पाँचों मंदिर के संबंध में किंवदंति हैं कि पांडवों ने उक्त पाँचों मंदिर को एक ही रात में पूर्वमुखी से पश्चिम मुखी कर दिया गया था।

माता कुंती रेत के शिवलिंग बनाकर पूजा करतीं थीं


कर्णेश्वर महादेव मंदिर के पूजारी हेमंत दुबे श्री, परसराम पाटीदार (बीजेपी मंडल महामंत्री)मोतीलाल पटेल राजेश छापरी ने कहा कि ऐसी किंवदंती है कि अज्ञात वास के दौरान माता कुंति रेत के शिवलिंग बनाकर शिवजी की पूजा किया करती थी। तब पांडवों ने पूछा कि आप किसी मंदिर में जाकर क्यों नहीं पूजा करती? कुंति ने कहा कि यहाँ जितने भी मंदिर हैं वे सारे कौरवों द्वारा बनाए गए है जहाँ हमें जाने की अनुमति नहीं है। इसलिए रेत के शिवलिंग बनाकर ही पूजा करनी होगी। कुंति का उक्त उत्तर सुनकर पांडवों को चिंता हो चली और फिर उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से उक्त पाँच मंदिर के मुख को बदल दिया गया तत्पश्चात कुंति से कहा की अब आप यहाँ पूजा-अर्चना कर सकती हैं क्योंकि यह मंदिर हमने ही बनाया है। 

महा शिवरात्रि पर यहाँ 5 दिवसीय विशाल मेला


कर्णेश्वर मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। बताया जाता हैं कि इस मंदिर में स्थित जो गुफाएँ हैं वे उज्जैन के महांकालेश्वर मंदिर के अलावा अन्य तीर्थ स्थानों तक अंदर ही अंदर निकलती है। गाँव के कुछ लोगों द्वारा उक्त गुफाओं को बंद कर दिया गया है ताकि वह सुरक्षित रहे। यहाँ प्रतिवर्ष श्रावण मास में उत्सवों का आयोजन होता है और बाबा कर्णेश्वर महादेव की झाँकियाँ निकलती है महा शिवरात्रि पर यहाँ 5 दिवसीय विशाल मेला, सहित शिव \राम \भगवत कथा का आयोजन होता है एस अवसर पर ग्रामीणों का आतिथि सत्कार वन्दनीय और अनुकरणीय होता है। 

कैसे पहुँचे
इंदौर एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग लेकर देवास पहुंचे। देवास से करनावद सड़क मार्ग से जाना होगा।
भोपाल एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग लेकर देवास पहुंचे। देवास से करनावद सड़क मार्ग से जाना होगा। 
आप खंडवा से सीधे सड़क मार्ग लेकर करनावद जा सकते हैं। 

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