UDSO 2019: ये कानून व्यापारियों को कितना प्रभावित करेगा, यहां पढ़िए | BUSINESS NEWS

Bhopal Samachar
UDSO 2019 यानी Unregulated Deposit Schemes Ordinance, 2019 जिसे हिंदी में अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अध्यादेश 2019 कहते हैं, भारत में लागू हो चुका है। कहा जा रहा है कि इस कानून के बाद लोग अपने रिश्तेदारों के अलावा किसी भी व्यक्ति या संस्थान से ना तो लोन (LOAN) ले सकेंगे और ना ही मुनाफा या ब्याज पाने के लिए डिपॉजिट (DEPOSIT FOR INTEREST AND PROFIT) कर सकेंगे। आइए हम बताते हैं सरकार ने यह कानून क्यों बनाया और क्या यह व्यापारियों या आम दुकानदारों को प्रभावित करेगा या नहीं। 

सबसे पहले इस अध्यादेश का मकसद समझ लें। ये अध्यादेश देश में अवैध तौर पर चल रही पॉन्जी स्कीम जिसे चिटफंड योजना या फर्जी निवेश योजनाएं भी कहते हैं पर रोक लगाने के लिए लाया गया है। आम जनता को ज्यादा मुनाफा या ब्याज का लालच देकर ये कथित चिटफंड कंपनियों ने कई राज्यों में करोड़ों भोले-भाले लोगों के साथ बड़ी धोखाधड़ी की है। इससे करोड़ों लोगों को नुकसान हुआ और उनकी जमा पूंजी डूब गई। देश के हर राज्य में इस तरह की स्कीमें चल रही हैं। 

इसलिए इस कानून के जरिए कंपनियों/संस्थाओं/फर्मों इत्यादि पर डिपॉजिट लेने पर रोक लगा दी गई है। इसके जरिए डिपॉजिट लेने के लिए विज्ञापनों तक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि इस कानून में आम लोगों, फर्म, कंपनियों और एलएलपी और कारोबारियों को बिजनेस के लिए लोन की छूट दी गई है। इसका अर्थ है आप कारोबार के लिए किसी से भी लोन ले सकते हैं। ये अध्यादेश का 2(4) ई, एफ और आई सेक्शन है। इसमें कहा गया है कि आप रिश्तेदारों से भी लोन ले सकते हैं।

इस अध्यादेश के बाद ज्वेलर्स की गोल्ड डिपॉजिट स्कीम पर रोक लग जाएगी। वो लोगों से ईएमआई लेकर गहने बेचने वाली स्कीम नहीं चला सकेंगी। हाल ही में वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा था कि ‘इस अध्यादेश से हर उस निकाय के लिये पंजीकरण अनिवार्य हो गया है जो जमा लेने की सुविधा देता हो। इससे जमा लेने योग्य सभी निकायों की केंद्रीय सूची भी तैयार होगी। जो कोई निकाय पंजीकृत नहीं होगा, जमा नहीं ले सकेगा।’

उन्होंने कहा, ‘यह अध्यादेश एक एजेंट या विज्ञापन के जरिये चूना लगाने पर भी रोक लगाता है। आप ऐसी किसी भी योजना का विज्ञापन नहीं कर सकते हैं जो पंजीकृत नहीं है।’

इस अध्यादेश में नियम नहीं मानने वालों पर 1 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। वहीं 2 लाख रुपए से लेकर 50 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान भी है। इस अध्यादेश में ट्रस्ट का उल्लेख नहीं है। इसके अलावा अनसिक्योर्ड लोन को लेकर भी कारोबारियों में असमंजस की स्थिती है। जानकारों के मुताबिक जल्द ही वित्त मंत्रालय इस पर सफाई दे सकता है।

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