BASANT PANCHAMI पर माँ सरस्वती की पूजन विधि, मुहूर्त, कथा एवं महत्व | RELIGIOUS

NEWS ROOM
नई दिल्ली। माघ शुक्ल पंचमी को ज्ञान और बुद्ध‌ि की देवी मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप मे वसंत पंचमी के रुप में मनाया जाता है। इस इस मौके पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है और मौसम में आसानी से उपलब्ध होने वाले फूल चढ़ाए जाते हैं। विद्यार्थी इस दिन किताब-कॉपी और पाठ्य सामग्री की भी पूजा करते हैं। जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच रहती है, उस दिन को सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है। इस दिन कई स्थानों पर शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। इसका कारण यह है कि इस दिन को विद्या आरंभ करने के लिये शुभ माना जाता है। 

मुहूर्त

ज्योतिष के मुताबिक वसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के तौर पर भी जाना जाता है, इस कारण नए कार्यों को शुरूअात के लिए यह दिन उत्तम माना जाता है। इस दिन मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, घर की नींव, गृह प्रवेश, वाहन खरीदने, व्यापार शुरू करने आदि के लिए शुभ है। इस दिन अन्नप्राशन भी किया जा सकता है। 

पौराणिक मान्यताएं

मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पचंमी के दिन उनकी आराधना की जाएगी। तब से बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के पूजन की परंपरा चली आ रही है। खास कर विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है। 

एक अन्य मान्यता के मुताबिक मां सीता की तलाश करते हुए भगवान श्रीराम गुजरात और मध्य प्रदेश में फैले दंडकारण्य इलाके में पहुंचे। यहीं शबरी का आश्रम था। कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही भदवान श्रीरामचंद्र यहां आये थे। इस क्षेत्र के लोग आज भी वहां मौजूद एक शिला का पूजन करते हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीराम इसी शिला पर बैठे थे। यहीं शबरी माता का मंदिर भी है।

माँ सरस्वती की वंदना

सरस्वती पूजा के मौके पर मां सरस्वती की स्तुति की जाती है। इस दौरान सरस्वती स्तोत्रम का पाठ किया जाता है। कई शिक्षण संस्थानों में भी इस स्तोत्र के जरिए मां सरस्वती की वंदना की जाती है। घर में भी इस स्तोत्र के जरिए मां सरस्वती की वंदना कर सकते हैं। 

या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता 
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। 
या ब्रह्माच्युत शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता 
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥ 

शुद्धां ब्रह्मविचार सारपरम- माद्यां जगद्व्यापिनीं 
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। 
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ 
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥


सरस्वती स्तोत्रम्


श्वेतपद्मासना देवि श्वेतपुष्पोपशोभिता। 
श्वेताम्बरधरा नित्या श्वेतगन्धानुलेपना॥ 
श्वेताक्षी शुक्लवस्रा च श्वेतचन्दन चर्चिता। 
वरदा सिद्धगन्धर्वैर्ऋषिभिः स्तुत्यते सदा॥  
स्तोत्रेणानेन तां देवीं जगद्धात्रीं सरस्वतीम्। 
ये स्तुवन्ति त्रिकालेषु सर्वविद्दां लभन्ति ते॥ 
या देवी स्तूत्यते नित्यं ब्रह्मेन्द्रसुरकिन्नरैः। 
सा ममेवास्तु जिव्हाग्रे पद्महस्ता सरस्वती॥ 
॥इति श्रीसरस्वतीस्तोत्रं संपूर्णम्॥ 

वसंत पंचमी: 2019


वसंत पंचमी पूजा मुहूर्त –  07.07 बजे से 12.35 बजे तक
अवधि – 05 घंटे 27 मिनट
पंचमी तिथि आरंभ – 9/फरवरी/2019 को 12.25 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त – 10/फरवरी/2019 को 14.08 बजे तक

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!