भोपाल। एमपी बोर्ड (MP BOARD) के कक्षा 12वीं का गणित विषय (Mathematics topics) का पेपर शनिवार को लीक (Paper leak) हुआ। अब तक प्रशासन ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। प्रमाणित हो चुका है कि पेपर वही था जो परीक्षा कक्ष (examination room) में वितरित हुआ। यह भी प्रमाणित है कि पेपर 32 मिनट पहले वायरल (Viral) किया गया। वायरल करने वाले का नाम, पता भी मालूम है फिर भी सब चुप हैं।
शिक्षा विभाग (education Department) के अधिकारी यह कहकर मामला टालते नजर आ रहे हैं कि जांच चल रही है, इसके बाद ही कोई कार्रवाई हो सकेगी, वहीं दूसरी तरफ कलेक्टर (Collector) का कहना है कि आरोपी फरार है। उसकी तलाश की जा रही है। रविवार देर शाम तक पुलिस ने वाट्सअप ग्रुप पर पेपर लीक करने वाले निजी स्कूल संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। सीहोर (Sehore) जिले के आष्टा ब्लॉक (Ashta) में शिक्षा माफिया के सामने प्रशासन घुटने टेकते नजर आ रहा है।
खास बात यह है परीक्षा से पहले पेपर वाट्सएप ग्रुप पर वायरल होने को शिक्षा विभाग बहुत बड़ी चूक नहीं मान रहा है। डीईओ एसपी त्रिपाठी (DEO SP Tripathi) का कहना है कि विद्यार्थी (Student) परीक्षा (EXAM) से एक घंटे पहले ही परीक्षा कक्ष में चले जाते हैं, इसलिए इन विद्यार्थियों तक पेपर नहीं पहुंचा है। यही वजह है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में सख्ती नहीं बरत रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर इस पूरे मामले में कलेक्टर का कहना है कि जिस निजी स्कूल संचालक ने पेपर लीक किया है उसकी तलाश की जा रही है। स्कूल संचालक अभी फरार है। एसडीएम राजेश शुक्ला (SDM Rajesh Shukla) का कहना है कि अशासकीय स्कूल संगठन के सचिव ने डीईओ को इसकी शिकायत की थी।
पुलिस को आवेदन दे दिया बस
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग ने सिद्दीकगंज पुलिस को प्रतिवेदन दिया है। हालांकि डीईओ श्री त्रिपाठी इस बात से इंकार कर रहे हैं। हालांकि सिद्दीकगंज पुलिस के अनुसार शिकायती आवेदन मिला है। जिस पर जांच की जा रही है। जांच के बाद भी आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बड़े सवाल
क्या गारंटी है कि पेपर केवल 32 मिनट पहले ही वायरल हुआ।
क्या यह नहीं मान लेना चाहिए कि पेपर तो रात में ही लीक हो गया था, सुबह जल्दबाजी में स्कूल संचालक ने ग्रुप में पोस्ट हो गया।
बड़ा सवाल यह है कि परीक्षा कक्ष में वितरित होने से पहले पेपर प्राइवेट स्कूल संचालक तक केसे पहुंचा।
कहीं सीहोर जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी भी तो शिक्षा माफिया के साथ इस खेल में शामिल नहीं हैं।
क्या यह संदेह भी किया जाए कि कलेक्टर सीहोर का आरोपियों को संरक्षण प्राप्त है।