नई दिल्ली। भाजपा के लौह पुरुष लालकृष्ण आडवाणी आज इतिहास बन गए। उनकी लोकसभा सीट गांधीनगर से अमित शाह ने अपना नाम घोषित कर दिया है। लालकृष्ण आडवाणी अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। कहने की जरूरत नहीं कि भाजपा ने उन्हे वीआरएस दे दिया है। अब वो एक रिटायर नेता की तरह कभी कभी आमंत्रित किए जाएंगे। तो आइए 2 मिनट आडवाणीजी की बात करें। उनका जीवन और संघर्ष की कहानी बताने की शायद जरूरत नहीं, सभी जानते हैं। आइए देखते हैं सोशल मीडिया पर लोग उनके बारे में क्या बात कर रहे हैं:
Narendra nath mishra लिखते हैं: आज से बीजेपी में आडवाणी युग आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया। 3 से 182 सीट बीजेपी को ले जाने वाले आडवाणी ने ऐसी बुनियाद खड़ी की जिसके बदौलत आज बीजेपी शीर्ष पर खड़ी है। आडवाणी को देखकर निदा फाजली की बात याद आती है-"कभी किसी को मुक्कमल जहाँ नहीं मिलता,कभी जमीन तो कभी आसमां नहीं मिलता"
Sanjay Singh AAP ने लिखा है: उम्र के अंतिम पड़ाव में अपनी पार्टी के संस्थापक/मार्गदर्शक को लोकसभा की दर्शक दीर्घा में भेजकर अमित शाह को टिकट देना लाल कृष्ण आडवाणी जी का घोर अपमान है।
Srinivas B V लिखते हैं: पहले आडवाणी जी से पार्टी छीनी, उसके बाद राष्ट्रपति का पद छीना, और अब लोकसभा का टिकिट भी.. जिस व्यक्ति ने दिन रात पसीना बहाकर पार्टी को खड़ा किया आज उसको ही मोदी-शाह ने गुमनामी के साये में धकेल दिया..
यह तस्वीर क्या कहती है
राजनीति क्या-क्या दिन दिखा सकती है ये तस्वीर दर्शा रही है। किसी दौर में नरेंद्र मोदी - अमित शाह, लाल कृष्ण आडवाणी के नामांकन में बतौर कार्यकर्ता पहुंचे थे और आज इन्ही ने आडवाणी जी का टिकट काट दिया।
Randeep Singh Surjewala लिखते हैं: पहले श्री लाल कृष्ण अडवाणी को ज़बरन ‘मार्ग दर्शक’ मंडल में भेज दिया, अब उनकी संसदीय सीट भी छीन ली। जब मोदीजी बुज़ुर्गों का आदर नहीं करते, वह जनता के विश्वास का आदर कहाँ करेंगे? भाजपा भगाओ, देश बचाओ।
एक दुर्लभ चित्र
यह दुर्लभ चित्र जनसंघ के समय का है। इसमें श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री अटलबिहारी वाजपेयी एवं श्री भैरोसिंह शेखावत नजर आ रहे हैं।