ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 20 महीने में 3 कलेक्टर बदलवाए | MP NEWS

ग्वालियर। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) भले ही सांसद गुना-शिवपुरी लोकसभा के हों परंतु ग्वालियर की राजनीति (POLITICAL) में ना केवल वो पूरी तरह सक्रिय हैं बल्कि मप्र में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ग्वालियर (GWALIOR) पर प्रभुत्व कायम करते नजर आ रहे हैं। वो कलेक्टरों (Collectors) के साथ 'श्रीमंत' जैसा व्यवहार कर रहे हैं। चुटकी बजाते ही हुकुम का पालन चाहते हैं, जैसे ही कलेक्टर चूकता है, उसे बदल दिया जाता है। 20 महीने में 3 कलेक्टर बदलवा चुके हैं। आईएएस भरत यादव (IAS Bharat Yadav) के तबादले के बाद अब सिंधिया पर उंगलियां उठने लगीं हैं। 

ग्वालियर में पिछले तीन कलेक्टरों का कार्यकाल महीनों में ही सिमट रहा है। क्रम से देखें आईएएस अशोक सिंह वर्मा (IAS ASHOK SINGH) 11 महीने, आईएएस राहुल जैन (IAS RAHUL JAIN) 7 महीने और आईएएस भरत यादव सिर्फ 2 महीने। नई सरकार के बनने के बाद 24 दिसंबर यानि सुशासन दिवस पर ज्वाइन करने वाले कलेक्टर भरत यादव के तबादले के पीछे माननीय के हुक्म टालना ही बड़ी वजह है। स्थानीय अफसर दहशत में हैं। 2 महीने में भरत यादव ने ऐसी क्या गलती कर दी थी जो उन्हे आनन फानन हटा दिया गया। खुद कलेक्टर भरत यादव भी अपने तबादले ऑर्डर से हैरान है। आइए जानते हैं क्या मामले थे वो जो भरत यादव की कुर्सी पर भारी पड़ गए। 

कंट्रोल एंड कमांड सेंटर शिफ्ट नहीं किया

कुछ समय पहले ही प्रदेश सरकार के स्थानीय मंत्रियों ने ग्वालियर के विकास कार्यों की समीक्षा बैठक बुलाई थी जिसमें क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी थे। इस बैठक में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों को खासतौर पर विश्लेषित किया गया था, जिसमें मोतीमहल स्थित कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को शिफ्ट किए जाने का सुझाव सांसद सिंधिया ने दिया। इस पर स्मार्ट सिटी अधिकारियों का कहना था कि 70 प्रतिशत कार्य हो चुका है, मौजूदा स्थिति में तो शिफ्टिंग संभव नहीं है। इसके बाद भी सांसद ने कहा कि दूसरी जगह तलाशी जाए। कलेक्टर ने इस मामले में सिंधिया के हुकूम की तामील नहीं की। 

SCINDIA के लिए आउट ऑफ टर्न कलम नहीं चला पाए कलेक्टर

एक हुक्म पर तत्काल काम, यह भी नहीं हो सका। इसका परिणाम कुर्सी छुड़वाना तक बन गया। 'माननीय' के यहां के स्थानीय ऐसे काम जो सीधे तौर पर तो हो नहीं सकते थे, इनके लिए आउट ऑफ टर्न कलम चलाना और पूरी अटेंशन देना, यह नहीं हो सका। इसके अलावा माननीय के नजदीकियों के काम न होना और उनके दुश्मन खेमे का कोई भी फेवर ट्रांसफर का कारण बन गया।

रेलवे ओवरब्रिज लोकार्पण टला तो तबादला आदेश जारी हो गया

नए पड़ाव आरओबी को जल्द शुरू कराए जाने को लेकर सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर स्थानीय मंत्री तक लगातार निगाह बनाए हुए हैं। रेलवे ओवरब्रिज के लोकार्पण का कार्यक्रम सोमवार को सांसद सिंधिया के कार्यक्रमों में शामिल किया गया था। यह अधिकारिक तौर पर जारी शेड्यूल था, लेकिन आरओबी अभी न तो ट्रैफिक निकालने की स्थिति में था न ही रेलवे की एनओसी मिली है। सांसद के कार्यक्रम में लोकार्पण होने के बावजूद कलेक्टर ने इसकी तैयारियां नहीं कीं। अंतत: लोकार्पण टालना पड़ा और जिस समय पर लोकार्पण होना था, ठीक उसी समय पर कलेक्टर का तबादला हो गया। 

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