भोपाल। लोकसभा चुनाव की चुनौतियों से बचने के लिए सीएम कमलनाथ ने बड़ी ही चतुराई के साथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सामने भोपाल या इंदौर से चुनाव लड़ने की चुनौती पेश कर दी थी लेकिन खबर आ रही है कि हाईकमान ने भोपाल, इंदौर, ग्वालियर व जबलपुर सीधे कमलनाथ के नाम लिख दिए हैं। कमलनाथ जिसे चाहें प्रत्याशी बनाएं, लेकिन चुनाव जिताकर लाना होगा।
प्रदेश के चार महानगरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में जीत का मिथक तोड़ने के लिए पार्टी हाईकमान ने सीएम कमलनाथ पर भरोसा जताया है। कहा जा रहा है कि पार्टी कमलनाथ का चेहरा आगे कर प्रत्याशियों को पार्टी मैदान में उतारेगी। कांग्रेस को लगता है कि विधानसभा चुनाव के नतीजे और पिछले दो महीनों में कमलनाथ सरकार के निर्णयों का लाभ लोकसभा चुनावों में मिलेगा।
साल 1989 से भोपाल और इंदौर लोकसभा पर बीजेपी का कब्जा है। जबलपुर लोकसभा पर कांग्रेस को 1996 से और ग्वालियर में 2009 से जीत नसीब नहीं हुई है। 10 से लेकर 30 सालों से महानगरों पर बीजेपी का कब्जा बरकरार है। बीजेपी के गढ़ बन चुके भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर संसदीय क्षेत्रों को इस बार किसी भी तरह से कांग्रेस भेदना चाह रही है।
कांग्रेस का दावा है कि चीजें बदल रही है, क्योंकि जनता कमलनाथ सरकार के पिछले दो माह में लिए गए निर्णयों की तुलना शिवराज की घोषणाओं से करने लगी है। युवाओं, किसानों और महिलाओं के लिए गए निर्णय से इस बार नतीजों पर फर्क पड़ेगा।
महानगरों में बन रहे समीकरण-
महानगरों में कांग्रेस के पास जिताऊ उम्मीदवारों का टोटा है। यही वजह है कि इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल लोकसभा सीट पर दिग्गज नेताओं को उतारने का कांग्रेस ने मन बनाया है। कमलनाथ चाहते हैं कि दिग्विजय सिंह, भोपाल से चुनाव लड़ें जबकि राजगढ़ उनकी अपनी सीट है। अब जबकि दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ने को तैयार हैं तो राजगढ़ के लोग चाहते हैं कि उनके राजासाहब ही उनके सांसद भी हों।
इंदौर में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को बीजेपी फिर से मैदान में उतारने जा रही है। यहां कांग्रेस के पास ऐसा कोई नाम नहीं है, जो ताई को टक्कर दे सके। जबलपुर से भाजपा के राकेश सिंह सांसद हैं। वो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। ग्वालियर से फिलहाल नरेंद्र सिंह तोमर सांसद हैं लेकिन इस बार वो सीट बदलने के मूड में हैं। भाजपा के पास यहां कोई मजबूत विकल्प नहीं है। कांग्रेस के लिए समय अच्छा है परंतु यह सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाली सीट है। कमलनाथ के नाम पर यहां वोट नहीं मिलेंगे।