मप्र के 4000 गांव सूखे की चपेट में, कमलनाथ के छिंदवाड़ा में 145 गांव सूखे | CHHINDWARA MP NEWS

भोपाल। गर्मी का मौसम आने से पहले ही मध्यप्रदेश के 4000 गांव सूखे की चपेट में आ गए हैं। मध्यप्रदेश के कुल 52 जिलों में से 36 जिले सूखे से प्रभावित हो रहे हैं। यह जानकारी पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग (Department of Rural Development) द्वारा दी गई है। बताया जा रहा है कि पिछले साल मानसून कमजोर रहने से लगातार तीसरे साल गंभीर संकट की स्थिति पैदा हो गई है, जबकि प्रशासन लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) की घोषणा के बाद आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) का अनुपालन करने में जुटा है। 

किसानों की 2 करोड़ हेक्टेयर सिंचित जमीन सूख गई

पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन गांवों को जिन 40 नदियों का पानी मिलता है, वे सूखी पड़ी हैं। माइक्रो वाटरशेड प्रबंधन (Micro Watershed Management) पूरी तरह अव्यवस्था का शिकार बना हुआ है। प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में पिछले दो साल से 20 से 50 फीसदी कम बारिश हुई है। करीब 2,19,000 किलोमीटर लंबी इन नदियों के जलग्रहण क्षेत्र की 2,12,93,000 हेक्टेयर भूमि सूखी हुई है। विभाग का कहना है कि इन नदियों की धाराओं से माइक्रो वाटरशेड को रिचार्ज करने की कोशिश लगातार जारी है। विभाग ने सामुदायिक भागीदारी से नदियों को रिचार्ज करके भूजल स्तर को ऊंचा करने की योजना बनाई है। इसका मकसद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MNREGS) के तहत काम करवाकर ग्रामीण रोजगार पैदा करना और पेयजल मुहैया करवाना है।

पेयजल के लिए 5 किलोमीटर तक जाना पड़ रहा है

चुनाव आदर्श आचार संहिता के मद्देनजर राज्य सरकार संकट से निपटने के लिए पहल शुरू करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति की मांग कर सकती है। बुंदेलखंड के गांवों में नवंबर से ही पानी का अभाव पैदा हो गया था। क्षेत्र में पांच साल में लगातार चौथे साल सूखे की स्थिति है जबकि प्रदेश के बाकी हिस्से में 2017 में औसत मानसून रहा था। बुंदेलखंड के टीकमगढ़ एवं निवासी जिले के कुछ ग्रामवासियों को तीन साल से अधिक समय से पानी लाने के लिए पांच किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है।

CM के Chhindwara में 145 गांव सूखे

स्वच्छ भारत अभियान भी यहां प्रभावित हुआ है, क्योंकि महिलाओं को शौचालय के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। अधिकांश गांवों के सामुदायिक शौचालयों में पानी नहीं है। सूखा प्रभावित इन 36 जिलों में इस साल कटनी का हाल सबसे खराब है जहां 305 गांवों में पानी का संकट बना हुआ है। मुख्यमंत्री कमलनाथ के क्षेत्र छिंदवाड़ा में जल प्रबंधन विफल है और 145 गांवों में पानी का संकट व्याप्त है।

इन जिलों में 2000 गांव सूखे से पीड़ित 

रीवा, छतरपुर, झाबुआ, रायगढ़, सागर, सिवनी, देवास, मंडला, नीमच, दमोह और शिवपुरी जिलों के 2,000 गांव भी सूखे से प्रभावित हैं। सरकार ने वन अधिकार सुरक्षा कानून की तर्ज पर जलाशय अधिकार सुरक्षा कानून बनाने के लिए कमीशनर कमांड एरिया डेवलपमेंट की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। प्रदेश की राजधानी भोपाल में कहने के लिए बड़ी-बड़ी झीलें हैं, लेकिन प्रशासन ने औपचारिक रूप से इसे कम पानी की उपलब्धता वाला क्षेत्र घोषित किया है।

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