भोपाल। यह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) प्रबंधन के लिए शर्मसार कर देने वाली खबर है। AIIMS अस्पताल परिसर में AIIMS के डॉक्टर को हार्टअटैक आया और AIIMS जैसे अस्पताल में उसे इलाज नहीं मिल पाया। उसकी मौत हो गई। 300 करोड़ का बजट, लोगों की जिंदगी बचाने का दावा करने वाले AIIMS में सिर्फ एक एंबुलेंस है और उसमें भी लाइफ सपोर्ट सिस्टम नहीं है।
सोमवार शाम करीब 4 बजे एम्स में पदस्थ और अस्पताल परिसर के क्वाटर्स में ही रहने वाले डॉक्टर रमेशचंद चौहान को हार्ट अटैक आता है। परिजन एम्स में एंबुलेंस के लिए कॉल करते हैं लेकिन ड्राइवर नहीं होने के कारण यह सुविधा नहीं मिल पाती है। ऐसे में परिजन पड़ोसियों की मदद से करीब 500 मीटर दूर एम्स की इमरजेंसी यूनिट में उन्हें लेकर पहुंचते हैं। इस पूरी मशक्कत में करीब 30 मिनट का समय लग जाता है और इलाज के दौरान रात करीब 12:30 बजे डॉक्टर की मौत हो जाती है।
सिर्फ 500 मी. का था फासला, देर रात इलाज के दौरान मौत
अस्पताल से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित स्टाफ क्वार्टर में 40 वर्षीय डॉ. रमेशचंद चौहान रहते थे। वे एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में पदस्थ थे। उनकी पत्नी भी डॉक्टर है। साेमवार शाम करीब 4 बजे डॉ. चौहान को सीने में अचानक तेज दर्द होता है। उनकी पत्नी तुरंत उन्हें सीपीआर देती हैं और 9 वर्षीय बेटी को मदद के लिए पड़ोस में भेजती है। इसी दौरान एम्स की एंबुलेंस केे लिए काॅल भी किया जाता है लेकिन ड्राइवर न होने एंबुलेंस नहीं पहुंचती है। ऐसे में पड़ोसी कार से डॉ. चौहान को लेकर एम्स की इमरजेंसी यूनिट में पहुंचे थे। इस पूरी मशक्कत में करीब आधा घंटा लगा। डॉक्टरों ने सीपीआर किया ताे डॉ. चौहान की हालत में सुधार भी हुआ था, लेकिन इलाज के दौरान रात करीब साढ़े बारह बजे उनकी मौत हो गई। डॉ. चौहान मूलत: पलवल, हरियाणा के रहने वाले थे। मंगलवार दोपहर करीब साढ़े ग्यारह बजे परिजन उनके शव को हरियाणा के लिए लेकर रवाना हो गए।