नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) ने 26 फरवरी को पाकिस्तान (Pakistan) के बालाकोट (Balakot) में जैश-ए-मुहम्मद (Jaish-e-Muhammed) के आतंकी शिविरों पर हवाई हमला (Air strikes) किया था। भारत की इस कार्रवाई के अगले दिन 27 फरवरी को पाकिस्तानी वायु सेना (Pakistani Air Force) ने भी भारतीय सैन्य ठिकानों (Indian military bases) को निशाना बनाकर हवाई हमला किया था, लेकिन उसके सभी बम निशाना चूक गए थे।
सूत्रों के मुताबिक 27 फरवरी को पाकिस्तानी वायुसेना ने 20 से ज्यादा अमेरिकी एफ-16, फ्रांस के मिराज-3 और चीन के जेएफ-17 लड़ाकू विमानों के साथ एक हजार किलोग्राम के 11 एच-4 बम भारतीय सीमा के 50 किमी अंदर तीन जगहों पर गिराए, लेकिन वो किसी भी लक्ष्य को साधने में विफल रहे।
पाकिस्तानी एयर फोर्स ने मिराज-3 से एच-4 बमों को दागा था। एच-4 बम पाकिस्तान में दक्षिण अफ्रीका की सहायता से बनाए गए हैं। एच-4 बम स्पाइस-2000 के जैसा ही बम है जिसे भारतीय वायुसेना ने बालाकोट हवाई हमले के दौरान जैश-ए-मुहम्मद के ठिकानों को तबाह करने में इस्तेमाल किया था।
यदि निशाना लग जाता तो युद्ध सुनिश्चित था
सरकारी सूत्रों ने बताया कि एच-4 बम अपने निशाने को भेदने में सफल नहीं रहे। जम्मू-कश्मीर के आर्मी कैंप वाले जिस इलाके को निशाना बनाते हुए हमला किया गया था वह बिल्डिंग एक घने पेड़ से ढकी थी। यही वजह रही कि बम निशाने पर नहीं लगा और कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। हमले के दौरान भारतीय सेना के बड़े अधिकारी बिल्डिंग में ही मौजूद थे। पाकिस्तानी एयर फोर्स ने ये बम पुंछ और इसके निकटवर्ती तीन स्थानों पर गिराए थे।
हमले से पहले गुलाम कश्मीर में एकत्र हुए पाक के लड़ाकू विमान
27 फरवरी को पाकिस्तान की हवाई सेना ने अलग-अलग स्थानों से हमले के लिए उड़ान भरी थी। इसके बाद ये लड़ाकू विमान हमला करने से पहले गुलाम कश्मीर के उत्तरी इलाके में एकत्र हुए थे। इस हमले में पाकिस्तानी वायु सेना ने सबसे नई तकनीक पर बने एफ-16 विमानों का इस्तेमाल किया गया था। ये विमान अपने लक्ष्य को हवा से हवा में ही मार गिराने की क्षमता रखते हैं।