भोपाल। BANSAL HOSPITAL, BHOPAL का एक प्रतिष्ठित Super Speciality Hospital बताया जाता है। MY CAR जैसे ब्रांड के मालिक SAURABH GARG भी भोपाल के सुविख्यात नाम थे। हृदय रोग से पीड़ा के कारण वो बंसल अस्पताल में भर्ती हुए। यहां उनकी एंजियाेप्लास्टी भी की गई। डॉक्टर दावा करते हैं कि एंजियाेप्लास्टी के बाद सब ठीक हो जाता है परंतु बंसल अस्पताल के डॉक्टर एंजियाेप्लास्टी के बाद भी सौरभ गर्ग को बचा नहीं पाए। कैथलैब में ही उनकी मौत हो गई।
क्या हुआ घटनाक्रम
बंसल हाॅस्पिटल के सीनियर कार्डियाेलाॅजिस्ट डाॅ. स्कंद त्रिवेदी ने बताया कि दाेपहर 2 बजे साैरभ गर्ग ने बंसल हाॅस्पिटल में डाॅ. अशाेक गुप्ता को काॅल किया और असहज महसूस हाेने की बात कही। डाॅ. गुप्ता ने उन्हें अस्पताल बुला लिया। करीब 20 मिनट में वे खुद अस्पताल पहुंच गए। ईसीजी लिया गया, जिसमें हार्ट एक्टिविटी एबनाॅर्मल निकली। कुछ ही मिनटाें में एंजियाेग्राफी और एंजियाेप्लास्टी करने की कागजी प्रक्रिया पूरी कर उन्हें कैथलैब में शिफ्ट किया गया। एंजियाेग्राफी में पता चला कि हार्ट की मुख्य असर्टरी 100% ब्लाॅक है। एंजियाेप्लास्टी की गई। इसके बाद साैरभ मुस्कराते हुए बोले- अब ठीक महसूस कर रहा हूं। उनकी बात पर डॉक्टर कोई प्रतिक्रिया देते उससे पहले ही अचानक उनकी हालत फिर बिगड़ गई। डेढ़ मिनट बाद हार्ट अरेस्ट से उनकी सांसें थम गईं।
फैमिली के साथ संडे इंजॉय किया था
रविवार शाम करीब 5.30 बजे सौरभ गर्ग त्रिलंगा स्थित एक कैफे में थे। वे यहां पत्नी मंजू, बेटे ऋषभ, बहू साैम्या और बेटी पांखुरी के साथ हाई-टी लेने पहुंचे थे। यहां एक पत्रकार से मुलाकात हुई। मार्च के रश ऑवर्स में फैमिली के लिए समय कैसे निकालते हैं, इस सवाल पर बोले थे-हर शाम फैमिली के लिए कुछ समय जरूर रखता हूं। साथ ही देश अथवा विदेश में एक फैमिली ट्रिप भी हर साल शेड्यूल में फिक्स रखता हूं।
90 के दशक में कानपुर से भोपाल आए थे
सौरभ 90 के दशक में कानपुर से भोपाल आए। मंडीदीप में हिंदुस्तान यूनीलीवर के लिए पैकेजिंग का काम शुरू किया। जनवरी 2003 में मालवीय नगर में माय कार शोरूम खोला। आक्रमक ब्रांडिंग उनकी पहचान थी। मार्केटिंग के लिए रोड शो, टैगलाइन, अखबार व रेडियो जैसे संचार माध्यमों की ताकत को उन्होंने पहचाना। उन्होंने शहर में माय कैब के नाम से काॅल कैब सर्विस शुरू की थी।