भोपाल। अभी गर्मी पड़नी ठीक से शुरू भी नहीं हुई है कि सब्जियों के दाम (Price of vegetables) आसमान छू रहे हैं। सब्जियां इस कदर महंगी (costly) हो गई हैं कि फलों (Fruits) को टक्कर दे रही हैं। हालत ये हैं कि 10 रुपए किलो मिलने वाला बैंगन (brinjals) भी 40 से 60 रुपए किलो मिलने वाले अनार (Pomegranate) के बराबर पहुंच गया है। संतरा, पपीता और अंगूर जैसे फल गिलकी, भिंडी, मूंगा की फली से सस्ते हैं। लोग सब्जियों के भाव सुनकर यही कहते दिख रहे हैं कि सब्जियों से अच्छा है कि फल खरीदकर खाओ।
एक सप्ताह में भिंडी, गिलकी, करेला, लौकी, बरबटी सहित टमाटर, हरी मिर्च, शिमला मिर्च व अन्य सब्जियां 60 से 80 रुपए प्रतिकिलो तक पहुंच गई हैं। फरवरी व मार्च के पहले सप्ताह तक सब्जियां 30 से 40 रुपए प्रतिकिलो तक बिक रही थीं। वहीं अचानक सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं। सब्जियां महंगी होने का मुख्य कारण गर्मी की शुरुआत व पानी है।
पानी की कमी से सब्जियों का उत्पादन कम हो पा रहा है। इससे मंडी में हरी सब्जियां जनवरी-फरवरी की अपेक्षा इन दिनों 30 प्रतिशत तक कम पहुंच रही हैं। आवक कम होने से सब्जियों के दाम में इजाफा हो गया है। इससे आम लोगों की थाली से हरी सब्जियां दूर होती जा रही हैं।
करोंद सब्जी मंडी के व्यापारी पुरुषोत्तम खटीक ने बताया कि हर साल मार्च से गर्मी शुरू होते ही पानी की कमी हो जाती है। इसका सीधा असर सब्जियों के उत्पादन पर पड़ता है। खेतों से मंडी तक ज्यादा मात्रा में ट्रकों से सब्जियां नहीं आ पातीं। जिससे गर्मी में हरी सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं। जून-जुलाई में बारिश होने के बाद ही सब्जियों के दाम में कमी आती है।
बस आलू-प्याज राहत दे रहे हैं नहीं तो हाहाकार हो जाता
आम लोगों को लिए राहत की बात यह है कि आलू-प्याज के दाम में अभी ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। करोंद सब्जी मंडी में आलू 6 रुपए प्रतिकिलो में मिल रहा है। जबकि, शहर में अलग-अलग स्थानों पर लगने वाले हाट बाजारों में 10 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से आलू उपलब्ध है। वहीं, कॉलोनियों में आने वाले हाथ ठेले वाले 12 से 15 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से आलू बेच रहे हैं। वहीं, मंडी में प्याज 5 से 6 रुपए प्रतिकिलो मिल रही है और हाट बाजारों में 10 रुपए प्रतिकिलो। प्याज के दामों में डेढ़ से दो रुपए की बढ़ोतरी हुई है।
करोंद मंडी में इन स्थानों से आती हैं सब्जियां
भोपाल करोंद मंडी में सीहोर, विदिशा, होशंगाबाद समेत राजस्थान, उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों से सब्जियां आती हैं। मंडी से हाट बाजारों में दुकानें लगाने वाले व हाथ-ठेले वाले सब्जियां खरीदकर बेचते हैं। ट्रकों व लोडिंग वाहनों से सब्जियां आने से आम लोगों तक पहुंचने तक दाम बढ़ जाते हैं।