दिग्विजय सिंह के सामने शिवराज सिंह भाजपा के लिए हानिकारक तो नहीं | BHOPAL NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा का गढ़ रही भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह का नाम घोषित कर दिया है। अब भाजपा उनके सामने दमदार प्रत्याशी उतारना चाहती है। चर्चाओं में प्रज्ञा सिंह ठाकुर, उमा भारती या किसी बाहरी हिंदू ब्रांड नेता के विकल्प आए थे परंतु रविवार को अचानक शिवराज सिंह रेस में सबसे आगे हो गए। शिवराज सिंह को भोपाल से जिताऊ उम्मीदवार बताया जा रहा है लेकिन थोड़ा विचार करना होगा, कहीं दिग्विजय सिंह के सामने शिवराज सिंह भाजपा के लिए हानिकारक तो नहीं। 

जिताऊ उम्मीदवार हैं, हानिकारक क्यों होंगे


इसमें काई 2 राय नहीं कि भाजपा के पास शिवराज सिंह चौहान से बड़ा कोई नाम नहीं है परंतु भोपाल सीट के लिए यह नाम मुकाबले को मुश्किल बना सकता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ चाहता है कि इस चुनाव में दिग्विजय सिंह का हिंदू विरोधी चेहरा सामने लाया जाए। इसके लिए जरूरी है कि भाजपा की तरफ से कोई हिंदू ब्रांड उतारा जाए और शिवराज सिंह भाजपा के हिंदू ब्रांड वाले नेता नहीं हैं। वो ईद पर टोपी पहनकर बधाईयां देते हैं। भोपाल में शानदार हज हाउस उन्हीं ने बनवाया है। भोपाल में प्रदेश का सबसे बड़ा कत्लखाना भी वही बनाने जा रहे थे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने भोपाल में कभी होली, गणेश उत्सव या दुर्गा उत्सव के प्रबंध नहीं किए परंतु इज्तिमा का प्रबंधन देखने वो खुद निकलते थे। भोपाल के कर्मचारी शिवराज सिंह की तुलना में पीसी शर्मा को अपना नेता मानते हैं। 'माई के लाल' अब भी शिवराज सिंह को पसंद नहीं करते। यदि शिवराज सिंह को मैदान में उतारा तो यह लड़ाई हिंदू लाइन के आसपास तो कतई नहीं रहेगी। 

शिवराज सिंह भोपाल से क्यों लड़ना चाहते हैं

शिवराज सिंह चौहान पर लोकसभा चुनाव लड़ने का दवाब शुरू से है। अमित शाह चाहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान गुना में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ या छिंदवाड़ा में नकुल नाथ के खिलाफ चुनाव लड़ें। इस तरह वो मध्यप्रदेश में कांग्रेस को बड़ा तनाव दे पाएंगे परंतु शिवराज सिंह चौहान अपने प्रिय मित्र कमलनाथ को कष्ट देने के मूड में नहीं हैं और ना ही सिंधिया के खिलाफ लड़कर अपनी किरकिरी कराना चाहते हैं। अटेर और कोलारस उपचुनाव में शिवराज सिंह, सिंधिया के सामने परास्त हो चुके हैं। यही कारण है कि वो लगातार मना कर रहे थे परंतु अमित शाह का दवाब है। ऐसे में भोपाल सीट उनके लिए सबसे अच्छा अवसर है। दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने से उन्हे हर स्थिति में फायदा होगा। ज्यादा परिश्रम नहीं करना होगा, क्योंकि चुनाव मैदान में आरएसएस पूरी ताकत लगा रहा है। जीत गए तो मंत्रीमंडल में पॉवरफुल पोजीशन मिलेगी और इस तरह वो नरेंद्र मोदी का विकल्प बनकर उभर सकते हैं। यदि हार गए तो संगठन में पॉवरफुल पोजीशन मिलेगी और वो अमित शाह का विकल्प बन सकते हैं। वैसे भी अमित शाह का स्वास्थ्य अब ठीक नहीं रहता और आरएसएस भी अमित शाह को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर लम्बे समय तक देखने के मूड में नहीं है। 

तो फिर योग्य प्रत्याशी कौन होगा

नाम का चयन आरएसएस को करना है परंतु जो भी हो, हिंदुत्व का प्रतिनिधि होना चाहिए। यदि वो साफ्ट हिंदुत्व वाला नेता हुआ तो और भी ज्यादा अच्छा होगा। दिग्विजय सिंह ने भले ही नर्मदा यात्रा कर ली हो परंतु भोपाल में उपस्थित विशाल मुस्लिम वोट बैंक के लिए उन्हे प्रेम जताना ही पड़ेगा और फिर आतंकवादियों के नाम के साथ 'जी' लगाने का मुद्दा भी ऐसी स्थिति में ही काम आएगा। भारत में 'हिंदू आतंकवाद' शब्द के जनक दिग्विजय सिंह ही हैं। इन सबका फायदा तभी होगा जब भाजपा का प्रत्याशी भगवाधारी हो।

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