बॉलीवुड की चमक से प्रभावित होकर मुंबई जाने वाले कलाकारों के लिए यह बड़ा सबक है। त्रिलोचन सिंह सिद्धू उर्फ सवी सिद्धू एक ऐसा नाम था जो बॉलीवुड में तेजी से अपनी जगह बना रहा था और फिर अचानक गायब हो गया। अब जब मिला है तो एक अपार्टमेंट में गार्ड की नौकरी करते हुए। नौकरी भी 24 घंटे की है। एक साथ 8 घंटा सोने को भी नहीं मिलता।
सुवी ने एक वक्त पर अनुराग कश्यप जैसे निर्देशकों के लिए काम किया है। वह सुपरस्टार अक्षय कुमार के को-स्टार रहे हैं। बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों के साथ काम कर चुके सुवी के जेब में आज इतने पैसे भी नहीं है कि वह बस की टिकट खरीद कर निर्देशकों से मिलने जा सके। कभी फिल्मों के लिए काम करने वाले सुवी का कहना है कि आज फिल्म देखना उनके लिए किसी ख्वाब जैसा हो गया है। उनके पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि सिनेमाघर की टिकट खरीद कर वह फिल्म देख सकें। हालात कुछ ऐसे हैं कि वह एक अपार्टमेंट में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने को मजबूर हैं। सुवी का वास्तविक नाम त्रिलोचन सिंह सिद्धू हैं और वह मूलतः लखनऊ से हैं।
ब्लैक फ्राइडे, गुलाल, पटियाला हाउस और ऐसी ही पांच फिल्मों में काम कर चुके एक्टर का नाम त्रिलोचन सिंह सिद्धू उर्फ सवी सिद्धू है। उनकी आर्थिक हालात कुछ ऐसे हैं कि उन्हें मुंबई में एक अपार्टमेंट में गार्ड (चौकीदार) की नौकरी करनी पड़ रही है। यूट्यूब पर फिल्म कंपैनियन से खास बातचीत में उन्होंने सिल्वर स्क्रीन से गार्ड की नौकरी तक आने के अपने सफर को बयां किया है। फिल्म कंपैनियन से बातचीत में सवी ने बताया कि वह लखनऊ से हैं और उनकी शुरुआती पढ़ाई वहीं पर हुई थी। इसके बाद वह ग्रेजुएशन करने चंडीगढ़ आ गए थे। जब वह यहां पर पढ़ाई कर रहे थे तभी किसी ने उन्हें मॉडलिंग करने का ऑफर किया।
सवी ने बताया कि उन्हें अभिनय करने का शौक बचपन से ही था। मॉडलिंग से वह एक्टिंग की तरफ बढ़ते तब तक लॉ की पढ़ाई करने वह वापस लखनऊ आ गए। इसी बीच उनके भाई की एयर इंडिया में नौकरी लग गई और उन्हें मुंबई आने-जाने के लिए एक वजह मिल गई। सवी ने मुंबई आकर स्ट्रगल शुरू कर दिया और उन्होंने अनुराग कश्यप के साथ एक फिल्म की, जिसका नाम था 'पांच'। दुर्भाग्यवश यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर रिलीज नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने कई अन्य फिल्मों में छोटे मोटे रोल किए।
सवी सिद्धू ने फिल्म कंपैनियन को बताया, "काम की मुझे कभी कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। मुझे खुद ही काम छोड़ना पड़ता था इतना ज्यादा काम हो गया था। मैंने काम छोड़ दिया यह कहकर कि मेरी तबीयत ठीक नहीं चल रही है। बाद में आर्थिक दिक्कतें बढ़ गईं और हेल्थ प्रॉब्लम्स भी बढ़ गईं। फिर काम मिलना खत्म हो गया।"
सवी ने बताया, "सबसे बुरा वक्त था जब पत्नी को खो दिया। अगले साल पता चला कि पिता नहीं रहे। मां मर गईं। सासू मां मर गईं। ससुर नहीं रहे। एक के बाद कई लोग दुनिया से विदा हो गए। मैं अकेला होते होते बिलकुल अकेला हो गया। सवी ने चौकीदारी की मुश्किलों को लेकर कहा, "यह काम मुश्किल है। सुबह 8 से रात 8 तक और दूसरी शिफ्ट रात 8 से सुबह 8 तक होती है। ऐसी नौकरी में सोने का वक्त मुश्किल से ही मिलता है।
सवी ने बताया कि यह बहुत चुनौतीपूर्ण है कि सब कुछ कट टू कट होता है। आप उठते हैं खाना खाते हैं और काम पर आ जाते हैं। वैसे ही रात को घर पहुंचते हैं खाना बनाते हैं और खाना खाकर सो जाते हैं। सवी ने कहा, "मेरे पास अभी बस लेकर जाकर निर्देशकों से मिलने तक के पैसे नहीं हैं। जाकर सिनेमाघरों में फिल्म देखना तो सपने जैसा हो गया है। ऐसा नहीं है कि फिल्में देखने का मन नहीं करता, लेकिन क्या करूं.. फाइनेंशियल पोजीशन ऐसी है कि...." यह कहते कहते उनकी आंखे नम हो गईं।