इंदौर। शहर के नौ निजी स्कूलों को फर्जी तरीके से मान्यता दिए जाने के मामले में राजेंद्रनगर पुलिस द्वारा आरोपी बना गए जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) अक्षय सिंह राठौर और प्रोग्रामर धीरेंद्र परिहार की गिरफ्तारी प्रकरण दर्ज होने के एक महीने बाद तक भी नहीं हो पाई है। ऐसे में डीपीसी राठौर को पद से हटाए जाने को लेकर पिछले दिनों भोपाल मुख्यालय से गोपनीय तरीके से जानकारियां इकट्ठा की जा रही है। असल में प्रोग्रामर परिहार को तो पद से हटा दिया गया है, लेकिन राठौर पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
डीपीसी राठौर और प्रोग्रामर परिहार को राजेंद्रनगर पुलिस ने पकड़ने में देरी की तो उसका फायदा राठौर ने उठा लिया। डीपीसी राठौर ने अपनी गिरफ्तारी होने से पहले ही हाईकोर्ट की शरण ली और वहां से अग्रिम जमानत ले ली है। हालांकि इसके पूर्व उनकी अग्रिम जमानत याचिका को जिला कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। वहीं, भोपाल मुख्यालय को पिछले दिनों कुछ शिक्षा क्षेत्र से जुड़े संगठनों द्वारा आपत्ति लेते हुए राठौर को पद से हटाए जाने के संबंध में शिकायत की थी।
उसमें कहा गया था कि राठौर पर केस दर्ज कर लिया गया है और अगर उसके बावजूद वे पद पर रहते हैं तो वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में शासन को उनके संबंध में भी कोई निर्णय लेना चाहिए। इसके अलावा पर्व में डीपीसी कार्यालय द्वारा किए गए कई फर्जीवाड़े के संबंध में भी मय दस्तावेज शिकायत सौंपी गई है। सूत्रों के मुताबिक उस पर भी विभागीय जांच शुरू हो गई है।
इसी संबंध में जन शिक्षा अधिकार संरक्षण समिति के अध्यक्ष रमाकांत पाण्डेय ने बताया कि डीपीसी राठौर को पद से हटाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मांग की जाएगी कि दोषियों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना है कि जिला स्तरीय जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा है कि डीपीसी और प्रोग्रामर दोनाें दोषी हैं और इसमें भारी भ्रष्टाचार की आशंका है। ऐसे में इन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।