आगामी चुनाव को लेकर देश में माहौल बनना शुरू हो गया है | दोनों मुख्य दलों के नेता और समर्थक अपने-अपने विचार संकल्प और वचन के साथ तुलनात्मक बातें भी उछाल रहे हैं | सोशल मीडिया को दोनों प्लेटफार्म की तरह उपयोग कर रहे हैं | इनमें कुछ बातें तथ्य पर आधारित है तो कुछ हवा में यूँ ही उछाले जा रही हैं |
सबसे चर्चित बिंदु देश की एकता एवं अखंडता है। कांग्रेस के नेतृत्व में देश का विभाजन हुआ जिसको कांग्रेस की असफलता मानना चाहिए। लेकिन कांग्रेस ने हैदराबाद को देश में जोड़ने में सफलता पाई। कांग्रेस ने तमिलनाडु, पंजाब, मिजोरम और नगालैंड के अलगाववादी आंदोलनों पर सफलतापूर्वक नियंत्रण पाया। यद्यपि कांग्रेस कश्मीर में असफल रही। तो भाजपा भी कहाँ कश्मीर में अलगाववादी आंदोलनों पर नियंत्रण नहीं कर पाई |
इसके बाद चर्चा लोकतंत्र की है। देश का संविधान कांग्रेस द्वारा लागू किया गया। इसने राजशाही व्यवस्था को समाप्त किया और दलितों को बराबर का दर्जा दिया। इसके विपरीत १९५८ में कांग्रेस ने आपातकाल भी लागू किया जो लोकतंत्र पर आघात था। फिर 1१९९२ में पंचायती राज संशोधन एवं २००५ में सूचना के अधिकार को लागू करके कांग्रेस ने पुन: लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया। इसके इतर भाजपा ने सूचना के अधिकार को कमजोर करने का प्रयास किया।
इसके अर्थव्यवस्था पर बात करें तो कांग्रेस ने १९५१ में पंचवर्षीय योजनाओं को लागू किया। इन योजनाओं के अंतर्गत औद्योगीकरण की नींव रखनी शरू हुई। लेकिन इन योजनाओं ने सार्वजानिक इकाइयों को महत्व दिया। १९७९ में कांग्रेस ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। ये सार्वजानिक इकाइयों तथा सार्वजनिक बैंक आज संकट में हैं। यह समस्या कांग्रेस की देन है। कांग्रेस ने इन गलतियों को सुधारने का प्रयास १९९१ में आर्थिक सुधार लागू करके किया और देश के उद्यमियों की ऊर्जा को खुला छोड़ा। भाजपा ने वाजपेयी के नेतृत्व में सार्वजनिक इकाइयों के निजीकरण का सफल कार्य किया था लेकिन मोदी के नेतृत्व में हम निजीकरण की इस सही नीति से पीछे हट गए हैं। नोटबंदी तथा जीएसटी के अंतर्गत देश को डिजिटल इकॉनामी की तरफ धकेलने के प्रयास के कारण भी अर्थव्यवस्था को धक्का लगा है।
बुनियादी संरचना की बात करें भाजपा का प्रदर्शन अव्वल रहा है। वाजपेयी के कार्यकाल में स्वर्णिम चतुर्भुज सड़कों की शुरुआत हुई थी। जो फिर कांग्रेस के कार्यकाल में गति धीमी पड़ गई। मोदी के कार्यकाल में पुन: सड़क बनाने में उल्लेखनीय गति आई है। बिजली उत्पादन में कुछ बाधा है। फिर भी इन दिनों देश में पावर कट समाप्त से हो गए हैं। भाजपा ने भूमि अधिग्रहण कानून को ढीला करने का प्रयास किया। यद्यपि भाजपा अपनी जन धन योजना को गरीब के हित में बताती है लेकिन निष्पक्ष आकलन में इस योजना के माध्यम से गरीब की पूंजी को अमीर तक पहुंचाया गया है। मुद्रा योजना के अंतर्गत किसानों को भारी मात्रा में ऋण दिए जा रहे हैं लेकिन इन ऋणों का उपयोग किसान की खेती में नहीं हो रहा है बल्कि ये किसान को ऋण के दलदल में डाल रहे हैं।
कुल मिलाकर देश की एकता एवं बाहरी युद्धों पर दोनों पार्टियों का प्रदर्शन सामान रहा है। लोकतंत्र की रक्षा, अर्थव्यवस्था, किसान, रोजगार एवं पर्यावरण पर कांग्रेस का कार्य उत्तम रहा है। बुनियादी संरचना एवं भ्रष्टाचार के मुद्दों पर भाजपा का कार्य अच्छा रहा है। आगामी चुनाव में जनता तय करेगी कि उसके लिए किसान और रोजगार प्रमुख मुद्दे हैं अथवा भ्रष्टाचार। भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है जिससे न कांग्रेस बची है और न भाजपा | चर्चा है कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का वातावरण देश में फैला दिया था भाजपा ने इस पर नियंत्रण करने के लिए कई ठोस कदम उठाये हैं। फैसला आपके अर्थात मतदाता के हाथ में है |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।