कांग्रेस : जिन्दा दिखना भी जरूरी है | EDITORIAL by Rakesh Dubey

आम चुनाव के पहले चरण में कुछ ही समय शेष है। सत्तारूढ़ भाजपा से कांग्रेस का मुकाबला है | कई कांग्रेसी मित्र अभी तक कार्यकर्ता के रूप में चुनाव लड़ने के “मूड” में तो दिखते हैं पर उस “मोड” में नहीं दिख रहे हैं, जिसमें वे 2014 या उसके पहले के चुनावों में दिखते रहे हैं |  कहने को कांग्रेस काफी समय से कह रही है कि मोदी सरकार इतिहास की सबसे भ्रष्ट, अक्षम, विभाजनकारी और विनाशकारी सरकार है। इसके बावजूद कांग्रेस यह नहीं बता पा रही है कि उसके पास इस मोदी सरकार से निपटने की कोई योजना है तो क्या है ? महत्त्वपूर्ण मुद्दों जैसे अर्थ. रोजगार सामाजिक न्याय  और राष्ट्र हित पर उसकी नीति क्या है ? दो दृश्य सामने हैं, पहला कांग्रेस मजबूरी में लड रही है, जैसे अस्तित्व बचाना उसकी मजबूरी है, दूसरा कोई साथ न दे तो तू चल अकेला |

सही मायने में यह चुनाव कांग्रेस अंतिम और जोरदार प्रहार है।: कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा तो कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर भी सकती है । राजस्थान में भी सरकार बचाने की जोर अजमाइश होगी | तब कांग्रेस के पास शेष क्या रहेगा ? एक ऐसी जमात जो कोई चुनाव न लड़े हैं और न ही जीते हैं। जहां उनको प्रभार सौंपा गया वहां भी बाजी हाथ से निकल गई। चुनाव में सबका एक ही लक्ष्य होता है- जीत। इसके लिए कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। सफलता का पुरुस्कार मिलता है  और विफलता नेपथ्य में भेजती है। अभी परिणाममूलक  चुनावी “मोड़” में कांग्रेस नहीं आई है | 

बैसे भी कांग्रेस पिछले सालों में सामंती चरित्र की ओर बड़ी है, काबिलियत का मान उसमे निरंतर गिरता दिख रहा है |नई प्रतिभाएं यदा-कदा दिखती हैं |गांधी परिवार के साथ वे पुराने नेता है जो पार्टी का अपने क्षेत्रों में विस्तार तक नहीं कर सके | सब खो-खो खेल रहे हैं | अपने साथी को दौड़ा कर खुद बैठकर मजे ले रहे हैं |जैसे मध्यप्रदेश में दिग्विजय को दौड़ा कर शेष २ मजे में हैं | पिछले अलमबरदार गायब हैं | मध्यप्रदेश में कुछ दिन पहले मोहन प्रकाश अपनी मोहनी का प्रकाश दिखाते थे अब कहाँ हैं ? कैसे हैं ? किसी को कुछ पता नहीं | एक समय उनकी मर्जी राहुल बाबा की मर्जी होती थी | यही हालत राजस्थान के सीपी जोशी की भी थी | ऐसी एक लम्बी सूची है | इन चमकते सितारों में पार्टी के मीडिया प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला भी रहे हैं । जींद लोकसभा उपचुनाव में बमुश्किल तीसरे स्थान पर  आ सके । दीपक बाबरिया मध्य प्रदेश के प्रभारी बने हुए हैं जबकि उन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। 

कुछ प्रमुख मुद्दों जैसे रोजगार, अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र की निराशा के मुद्दे पर कांग्रेस नरेंद्र  मोदी पर हमले जारी रख सकती है, परंतु ये समस्याएं हल कैसे होंगी यह कोई नहीं बताता कांग्रेस की क्या रणनीति है अब तक अस्पष्ट है । कांग्रेस की “जब हमें सरकार मिलेगी तब उत्तर देंगे” वाली शैली सही नहीं है।कांग्रेस जैसे- तैसे कुछ सोचती है तो तभी कोई सैम पित्रोदा आकर उसे झटका दे देते हैं। राहुल बाबा से ऐसे झूठ बुलवाए जाते हैं जिन्हें आसानी से कोई भी पकड़ लेता है। जैसे मिराज एचएएल ने बनाए। एचएएल ने न कभी मिराज बनाया, न बनाएगा। यह विमान दसॉ ने बनाया है और इसका ऑर्डर  उनकी दादी इंदिरा गांधी ने दिया था। काग्रेस में सोच है, शोध की कमी है | सब कांग्रेस से कुछ न कुछ पाने के लालच में हैं, उसके लिये एक दूसरे को खो-खो  की भांति खो दे रहे है | ऐसे में कांग्रेस के खो जाने का खतरा है | लोकतंत्र में सिर्फ प्रतिपक्ष  का होना नहीं, उसका जिन्दा दिखना भी जरूरी है |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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