म्यूचुअल फंड और छोटे निवेश | EDITORIAL by Rakesh Dubey

इन दिनों बैंक एजेंट्स या ब्रोकर्स के वे फोन आने बंद या कम हो गए हैं जिनमें आपसे म्यूचुअल फंड (MUTUAL FUND) में पैसा लगाने (INVEST) का अनुरोध किया जाता था | पहले  ये सभी आपको इक्विटी से जुड़े फंड्स की विशेषताएं बताते थे और उनके लंबे चौड़े रिटर्न का गुणा-भाग समझाते थे| आल इंडिया म्यूचुअल फंड एसोसिएशन की ओर से दिखाए जाने वाले विज्ञापनों में म्यूचुअल फंड्स में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए पंचलाइन है –‘म्यूचुअल फंड (एमएफ) सही है’| इसके विपरीत  फंड बाजार के आंकड़ों पर गौर करें तो नजर आता है कि इनमें निवेश की हालत सही नहीं है| (MUTUAL FUND-MF NOT GOOD)

ताजा आंकड़े (LATEST REPORT) बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती नौ महीनों में एसआईपी- सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान  SIP- SYSTEMATIC INVESTMENT PLAN के जरिये आने वाला शुद्ध निवेश प्रवाह यानी NET INFLOW 60 प्रतिशत घटा है| इस अवधि में नई एसआईपी शुरू करने वालों की संख्या 85.16 लाख रही| वहीं एसआईपी बंद करने वालों का आंकड़ा रहा 42.67 लाख रहा | पिछले साल यानी 2017 -18 में ये आंकड़े क्रमश: 116.41 और 34.83 लाख थे| स्पष्ट है कि 2017-18 के मुकाबले 2018-19 में नए एसआईपी करने वालों की संख्या तेजी से घटी है . साथ ही एसआईपी बंद करने वाले  बढ़े और  इस तरह नेट इनफ्लो करीब 61 प्रतिशत घट गया|

एसआईपी को इक्विटी लिंक्ड म्यूचुअल फंड (EQUITY LINKED MUTUAL FUND) में निवेश का सबसे बेहतर जरिया (BEST WAY OF INVESTMENT) समझा जाता है| इसमें हर माह एक तय रकम निवेश की जाती है| माना जाता है कि इससे शेयर बाजार की अस्थिरता (INSTABILITY OF SHARE MARKET) से निवेशक (INVESTOR) काफी हद तक सुरक्षित (SAFE) रहते हैं और उन्हें अपने निवेश का औसत रिटर्न (AVERAGE RETURN) मिल जाता है| म्यूचुअल फंड्स बाजार में आना वाला बड़ा निवेश एसआईपी से ही आता है| इसमें कमी फंड बाजार को संचालित करने वालों के लिए अच्छी खबर नहीं है| म्यूचुअल फंड बाजार से छोटे निवेशकों (SMALL LEVEL INVESTORS) का भी भरोसा घट रहा है जो और भी चिंता की बात है| फंड बाजार ने बड़ी मुश्किल से निवेशकों में यह विश्वास पैदा किया था कि फंड्स में निवेश से शेयर बाजार जैसा फायदा तो मिलता है लेकिन उसके जोखिम बहुत कम हो जाते हैं|

इसकी सबसे बड़ी वजह पिछले दो सालों से घटता रिटर्न है| पिछले एक साल से ज्यादातर फंड्स में रिटर्न नकारात्मक है, यानी जितने पैसे निवेशक ने लगाए हैं, फंड्स का मूल्य उससे भी कम हो गया है| ‘शुरुआत में आम निवेशकों के पूछने पर ब्रोकर जवाब देते थे कि यह निवेश लंबी अवधि का होता है और आगे आपको फायदा मिलेगा| लेकिन आम निवेशक दो साल बाद भी अपने निवेश को जस का तस या उससे भी कम देखता है तो उसे लांग टर्म इनवेस्टमेंट की बारीकी समझ में नहीं आती और वह म्यूचुअल फंड के बजाय एफडी और पीएफ जैसे विकलप को महत्व देने लगता है|म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले छोटे निवेशक लंबी अवधि में बड़ा पैसा बनाने की जगह निरंतर बेहतर रिटर्न का सोचता  है| पिछले एक साल में फंड बाजार इस धारणा को बरकरार नहीं रख पाया| ऐसे में आम निवेशक एसआईपी से निकल रहे हैं| एकमुश्त निवेश करने वाले तो पहले ही म्यूचुअल फंड से किनारा करने लगे थे|

म्यूचुअल फंड अपने ग्राहकों को अच्छे रिटर्न नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि फंड हाउसेज को अपने निवेश से अच्छा रिटर्न नहीं मिल रहा है? यह बहुत सीधी समझ है. लेकिन इससे अर्थव्यवस्था की बड़ी तस्वीर का अंदाजा भी लगाया जा सकता है. म्यूचुअल फंड हाउस अपना निवेश अर्थव्यवस्था के लगभग सारे क्षेत्रों में करते हैं. उनके निवेश का दायरा व्यापक होता है. फिर भी उनसे लाभ न आने से सवाल पैदा होता है कि क्या आर्थिक लिहाज से सभी क्षेत्रों की हालत पतली है| स्थिरता के सूत्र अर्थव्यवस्था की व्यापक तस्वीर में छिपे हैं| मौजूूदा हालात और आने वाले चुनाव, पूंजी और निवेश बाजार को अभी इस बारे में बहुत आश्वस्त करते नहीं दिखते| बेचारा निवेशक क्या करे ?
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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