देश से नेताओं को कोई मतलब नहीं है, उन्हें अपनी राजनीति से मतलब है | उन्हें न तो सेना के मनोबल से मतलब है और न उन्हें इस बात से मतलब है कि उनके बयान के अंतर्राष्ट्रीय अर्थ क्या निकल रहे है ? इन दिनों जिस नेता को जो समझ आ रहा है, नहीं आ रहा है पर बोल रहा है | यह प्रमाणित होता जा रहा है कि इस देश के नेताओं के लिए राजनीति पहले और देश बाद में है | ये बयानबाज नहीं सुधरेंगे | एक नागरिक के रूप में हमें ही अपने विवेक का नीर-क्षीर तरीके से प्रयोग करना होगा | यदि हम असफल हुए तो देश खतरे में आ सकता है | इस होड़ के परिणाम के बारे में सोचा जाना जरूरी हो गया है |
अपनी पार्टी लाइन के अनुसार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी ‘जैश ए मोहम्मद’ के ठिकानों पर भारतीय वायुसेना के हमले के बारे में केन्द्र सरकार से सबूत मांग लिए |उन्होंने केंद्र को सलाह दी कि देश के सामने सब कुछ (सभी सबूत) रख देना चाहिए, ताकि इस संबंध में सारी शंकाएं दूर हो जाएं। उन्होंने यह भी कहा, ‘देखिये, आज एयर स्ट्राइक पर ये शक-शंका क्यों हो रही है? पहले भी ये स्ट्राइक (हमले) हुए हैं। पहले भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं। कोई सबूत तो मांगता नहीं था।’’कमलनाथ ने कहा, ‘इसमें कोई गुप्त चीज नहीं है...पाकिस्तान से तो गुप्त है नहीं, क्योंकि यह हमला पाकिस्तान में हुआ था। तो फिर किससे गुप्त रख रहे हैं? आज इसका खुलासा कर दीजिए कि ... ये इमारतें थी, ये कैंप थे, इतने लोग (आतंकी) मारे गए। यह खुलासा करने में क्या परेशानी है? उन्होंने कहा कि आजकल सब कुछ जीपीएस पर मौजूद है। सैटेलाइट फोटोग्राफी का दौर है और एयर चीफ मार्शल ने भी कह दिया है कि हमने लक्ष्य पर हमला किया था। तो इतने ज्ञानवान पुरुष यह तो बताओ चाहते क्या हो?
सवाल यह है कि इस सार्वजनिक प्रकटीकरण से किसे लाभ होगा ? और ये होड कहाँ से शुरू हुई और इसका अंत कहाँ होगा ? इन सवालों से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि यह बयानबाजी कैसे थमे ?
सार्वजनिक प्रकटीकरण का लाभ भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आगामी लोकसभा चुनाव में लेना चाहती है | एक अपने को तीन सौ मार खां साबित करना चाहती है तो दूसरी इसे भ्रम बताकर अपना उल्लू सीधा करना चाहती है | देश हित में दोनों नहीं है | ये बयान सीमा पर तनाव घटाएंगे नहीं | दूर तक सोचने पर ये हरकतें भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए ठीक नहीं है | हथियारों के सौदागर दोनों देशों में सक्रिय होंगे और मनमानी कीमत पर हथियार बिकेंगे और खरीदे जायेंगे | इसमें कौन सा राष्ट्र हित होगा और कौन सा विकास होगा ?
अब होड की बात एयर स्ट्राइक के बाद किसने सबसे पहले पाकिस्तान में मरने वालों की संख्या बताई या पूछी | बताना और पूछना दोनों ही गलत है | क्या अमित शाह को भाजपा ने यह संख्या बताने को अधिकृत किया था या कांग्रेस के शीर्ष से किसी को इस बात की अनुमति ली थी ? ये बात उठाकर एक दूसरे के साथ होड़ लगाने वालों ने सेना के मनोबल के बारे में तो सोचा ही नहीं यह भी सोचा की मूल मुद्दा आतंकवाद से निबटना है | परिणाम जम्मू का विस्फोट सामने है | बयानबाजी की होड़ जारी है और इसका अंत कहीं दिखाई नहीं देता है |
तो क्या किया जाये ? करने को तो बहुत कुछ है यदि सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर देश हित के इस मुद्दे पर कुछ कहे या भारत का नख दंत विहीन निर्वाचन आयोग इन दलों पर इस बात के लिए नकेल कसे कि ये मुद्दे चुनाव प्रचार में प्रतिबंधित होंगे | इस बात की सम्भावना कम है | फिर आपको- हमको सोचना होगा कि लोकसभा चुनाव में वोट, एयर स्ट्राइक के पक्ष या विरोध में देना है या देश के विकास के किसी मजबूत प्रारूप पर | ये बयान आपको- हमको भ्रम में डाल सकते हैं, इसमें वह सब छुपा लिया जायेगा जिसे आपको जानना और उस पर निर्णय करना जरूरी है|
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।