ग्वालियर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 8 से 10 मार्च तक चली लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित आरएसएस के कई दिग्गज 12 मार्च तक ग्वालियर में रहे। माना जा रहा है कि इन 2 दिनों में आरएसएस ने नरेंद्र मोदी और भाजपा का भविष्य तय कर लिया है। बता दें कि संघ का एक वर्ग इन दिनों मोदी से नाराज है। वो आरएसएस पर मोदी का आधिपत्य स्वीकारने को तैयार नहीं है जबकि दूसरा वर्ग चाहता है कि जो भी करना पड़े, सत्ता हाथ में रहना चाहिए।
आठ मार्च से दस मार्च तक चली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में जो मुद्दे सामने आये थे, उन पर भी 12 मार्च तक विचार किया गया। बैठक में संघ के पदाधिकारियों ने अलग-अलग मुद्दों पर विचार विमर्श किया। इस दौरान कुछ ऐसे मुद्दे सामने आये हैं, जिन पर संघ का केंद्रीय नेतृत्व बारीकी से अध्ययन कर रहा है। राम मंदिर मुद्दा, धारा 370 सहित कई मुद्दे ऐसे हैं जिस पर आरएसएस का एक बड़ा वर्ग नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन से कतई संतुष्ट नही है। जबकि दूसरा बड़ा वर्ग चाहता है कि मध्यप्रदेश जैसी गलती ना की जाए। यहां संघ के शिथिल हो जाने के कारण भाजपा की सरकार गिर गई।
नवीन पदस्थापनाएं
बैठक के बाद आरएसएस के कई पदाधिकारियों के पद और स्थान में भी बदलाव किया गया है। मध्य भारत के सह प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर को अब प्रांत कार्यवाहक का दायित्व सौंपा गया है, जबकि मध्य भारत के सह प्रांत प्रचारक राजमोहन को मालवा का सह प्रांत प्रचारक बनाया गया है. साथ ही मालवा के सह प्रांत प्रचारक कुलकर्णी को मध्य भारत में सह प्रांत प्रचारक की जिम्मेदारी मिली है।