भोपाल। सिंधिया राजवंश की सबसे प्रतिष्णपूर्ण सीट ग्वालियर से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। कांग्रेस की जिला कार्यकारिणी एवं सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने यहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को प्रत्याशी बनाने की मांग की है जबकि अमित शाह ने अपना कार्ड अब तक ओपन नहीं किया है। ग्वालियर सांसद नरेंद्र सिंह तोमर अपनी सीट छोड़कर भाग चुके हैं। वो मुरैना से प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं। अब सवाल यह उठता है कि ग्वालियर सीट से भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा।
कांग्रेस की रणनीति
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित पूरी कांग्रेस मन बना चुकी है कि मध्य प्रदेश की ग्वालियर लोकसभा सीट से कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को उम्मीदवार बनाया जाए। जिला इकाई एवं सिंधिया समर्थक मंत्री इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर और लाखन सिंह यादव भी इसी पक्ष में हैं परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया अब तक आश्वस्त नहीं हैं। वो गुना और ग्वालियर दोनों सीटों पर महल की प्रतिष्ठा दांव पर लगाने को तैयार नहीं हैं। पूरी कांग्रेस बस उनकी सहमति का इंतजार कर रही है।
अमित शाह की रणनीति
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया है। वो प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में किसी की सुनने को तैयार नहीं हैं। उनके लिए एक-एक सीट महत्वपूर्ण है। ग्वालियर में प्रियदर्शनी राजे के सामने उनके पास कोई योग्य प्रत्याशी नहीं है। यशोधरा राजे सिंधिया वर्ष 2007 के उपचुनाव और वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में ग्वालियर से सांसद रह चुकीं हैं। मध्यप्रदेश राज्य की राजनीति में उनकी पकड़ काफी कमजोर हो गई है। जबकि केंद्र में यशोधरा राजे सिंधिया ने रुचि लेना शुरू कर दिया है। ऐसे में यदि प्रियदर्शिनी राजे से यशोधरा राजे सिंधिया के नाम की घोषणा हो जाए तो ग्वालियर सीट भाजपा के पास रह सकती है। ऐसी स्थिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपनी पत्नी को चुनाव में उतारने के विचार ही त्याग देंगे। अब देखना यह है कि इस सीट पर पहला दांव कौन चलता है।