होली प्रेम का त्यौहार है परंतु याद रखिए एकतरफा प्रेम का त्यौहार नहीं है। कुछ शरारती लोग होली के नाम पर लड़कियों या महिलाओं को उनकी अनुमति के बिना रंग लगा देते हैं इसके बाद कई बार विवाद भी होता है। हम आपको बताते हैं कि इस तरह के रंग लगाना आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध है। यदि लड़की नाबालिग है तो पोस्को एक्ट भी जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही यह एक गंभीर अपराध माना जाएगा। यदि कोई पुरुष, महिला की मर्जी के बिना उसे रंग लगाता है, उस पर गुलाल फैंकता है या उसके फोटो एवं वीडियो इत्यादि बनाता है महिला की शिकायत पर पुलिस तत्काल प्रकरण दर्ज करेगी एवं आरोपी पुरुष को जेल जाना पड़ सकता है। महिलाएं ऐसी स्थिति में कृपया डायल 100 को सूचना दें।
क्या है IPC की धारा 354
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 का इस्तेमाल ऐसे मामलों में किया जाता है जहां स्त्री की मर्यादा और मान सम्मान को क्षति पहुंचाने के लिए उनके साथ जोर जबरदस्ती की जाए। उनको गलत नीयत से छुआ जाए या उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी की जाए या फिर बुरी नीयत से हमला किया जाए। गलत मंशा के साथ महिलाओं से किया गया बर्ताव भी इसी धारा के दायरे में आता है।
IPC की धारा 354 में कितनी सजा दी जाती है
भारतीय दंड संहिता के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की मर्यादा को भंग करने के लिए उस पर हमला या जोर जबरदस्ती करता है, तो उस पर आईपीसी की धारा 354 के तहत प्रकरण दर्ज किया जाता है। आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।
क्या होता है पॉक्सो एक्ट?
बच्चों के साथ जोर जबरदस्ती या छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। ये शब्द अंग्रेजी से आता है। इसका पूर्णकालिक मतलब होता है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है।
यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। पॉक्सो एक्ट की धारा 5 एफ, 6, 7, 8 और 17, किसी शैक्षिक संस्थान में बाल यौन उत्पीड़न से सबंधित है। अगर किसी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई होती है, तो आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया जाता है। इस एक्ट के तहत धरे गए आरोपी को जमानत भी नहीं मिलती है। इस एक्ट में पीड़ित बच्ची या बच्चे के प्रोटेक्शन का भी प्रावधान हैं।