लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसानों को फसल में रोग लगने, खराब मौसम की वजह से बुवाई न कर पाने या फसल खराब होने की स्थिति में भी फसल बीमा का लाभ दिया जाएगा। कैबिनेट ने 2019-20 के लिए खरीफ और रबी की फसलों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधाारित फसल बीमा को लागू किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
अब खरीफ फसल में धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, उर्द, मूंग, अरहर, तिल, सोयबीन, मूंगफली और रबी में गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, लाही-सरसों, आलू, अलसी को ग्राम पंचायत स्तर पर बीमित किया जाएगा। फसल बुवाई के दौरान मौसम का हाल कैसा होगा, इसके लिए हर जिले में दो स्वचालित मौसम केंद्रों की स्थापना होगी। ये केंद्र मौसम की वास्तविक स्थिति के बारे में किसानों को जानकारी देंगे। इन केंद्रों की स्थापना बीमा कंपनी द्वारा की जाएगी। मौसम केंद्र पर उपलब्ध मौसम के प्रतिदिन के आंकड़ों के आधार पर फसल की संभावित क्षति का आकलन किया जाएगा।
पुखरायां-घाटमपुर-बिन्दकी राज्यमार्ग होगा फोरलेन
कैबिनेट ने स्टेट हाईवे-46 को फोरलेन विद पेव्ड शोल्डर किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस राज्यमार्ग को फोरलेन करने में 1136.45 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जिसकी लंबाई 82.53 किलोमीटर होगी। यह स्टेट हाई-वे कानपुर, कानपुर देहात, फतेहपुर से होकर गुजरता है। इसके अलावा गोरखपुर में सर्किट हाउस से गोरखपुर एयरपोर्ट तक के करीब 8 किलोमीटर लंबे मार्ग को फोरलेन किया जाएगा।
वाटर सेक्टर रीस्ट्रक्चरिंग परियोजना को मंजूरी
फसलों को बेहतर सिंचाई सुविधा मिले, इसके लिए राज्य सरकार ने वाटर सेक्टर रीस्ट्रक्चरिंग परियोजना के दूसरे चरण को मंजरी दे दी है। इस परियोजना का लाभ 16 जिलों को किसानों को मिलेगा। परियोजना पूरी होने के बाद 16 जिलों के 1.6 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र में बढ़ोतरी होगी। इसका लाभ प्रदेश के 7.17 लाख किसानों को मिलेगा।
पट्टाधारक भी कर सकेंगे खनन का भंडारण
कैबिनेट ने शुक्रवार को उप्र खनिज नियमावली 2019 में पहले संशोधन को मंजूरी दी। अभी तक खनन पट्टाधारक को खनन क्षेत्र के अलावा कहीं और भंडारण का ठेका नहीं मिलता था। मंत्रिपरिषद ने इसमें संशोधन कर दिया है। अब केवल नदी से होने वाले खनन (बालू -मौरंग ) के पट्टाधारक खनन वाले जिले में भंडारण नहीं कर सकेंगे, बाकि अन्य खनन पट्टाधारकों को हर जगह भंडारण की अनुमति मिलेगी। इसी तरह अभी तक नियम था कि पट्टाधारक खनन क्षेत्र से दस किलोमीटर की परिधि में भंडारण नहीं कर पाते थे। अब यह प्रतिबंध पांच किलोमीटर की परिधि का कर दिया गया है।