भोपाल। विधानसभा सत्र के दौरान मंत्रियों के अनुमोदन के बिना जवाब प्रस्तुत किए जाने के मामले में नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव ने विधानसभा अध्यक्ष को विशेषाधिकार हनन की सूचना दी है। नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में इस मामले में जिम्मेदारी तय करके कार्रवाई किए जाने का आग्रह किया है। बता दें कि इस बार सदन में दिए गए जवाबों पर हंगामा खड़ा हो गया था। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तो अपनी बनाई सरकार के खिलाफ मुखर हो गए थे। विधानसभा में व्यापमं घोटाला, सिंहस्थ घोटाला और नर्मदा घोटाला को क्लीनचिट दे दी गई थी। असलियत यह है कि मंत्रियों को पता ही नहीं था कि कागज में क्या लिखा है।
नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विशेषाधिकार हनन की सूचना दी है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों की ओर से विधायकों के प्रश्नों के जो उत्तर सदन में प्रस्तुत किए गए, उन्हें संबंधित विभाग के सचिव/प्रमुख सचिव द्वारा तैयार किया गया था और संबंधित मंत्री के अनुमोदन के बिना ही उन्हें विधानसभा में प्रस्तुत कर दिया गया था। नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि यह स्थिति आपत्तिजनक एवं असंवैधानिक है और इससे ऐसे अधिकारियों एवं मंत्रियों की कार्यप्रणाली तथा उनकी बौद्धिक और प्रशासनिक क्षमताओं पर सवाल खड़ा होता है।
श्री भार्गव ने कहा है कि यह विधानसभा सदस्यों, जो कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं के प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करने के विशेषाधिकार का हनन है, क्योंकि माननीय सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर मंत्रियों द्वारा दिए जाने का ही प्रावधान है। नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा है कि चूंकि आप माननीय सदस्यों के अधिकारों के संरक्षक हैं, इसलिए इस मामले को विशेषाधिकार समिति को सौंपने का कष्ट करें और समिति को निर्देशित करें कि वह अपने अभिमत के साथ संपूर्ण रिपोर्ट विधानसभा के आगामी सत्र के पहले दिन सदन में प्रस्तुत करे। श्री भार्गव ने उनके द्वारा दी गई विशेषाधिकार हनन की सूचना को गंभीरता से लेने का आग्रह करते हुए कहा है कि ऐसा न होने की स्थिति में उन्हें विधायकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए उच्च न्यायालय की शरण लेना पड़ेगी।