सरेंडर डाकू की याचिका: फिल्म से हमारी छवि खराब होगी, हाईकोर्ट का नोटिस जारी | MP NEWS

Bhopal Samachar
ग्वालियर। 10 साल तक चंबल में अपराध करने वाले सरेंडर डाकू मलखान सिंह को आपत्ति है कि आने वाले फिल्म सोन चिड़िया से उनकी छवि खराब होगी। इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर दी है। उनके साथ डाकू मान सिंह के परपोते जंडेल सिंह भी याचिकाकर्ता हैं। हाईकोर्ट ने सोन चिड़िया फिल्म के मालिकों से कहा है कि वो फिल्म की असली सीडी कोर्ट में जमा करा दें ताकि विवाद की स्थिति में उसे देखा जा सके। 

हाईकोर्ट की युगल पीठ ने सोन चिड़िया फिल्म के डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, अभिनेता, अभिनेत्री सहित 15 लोगों को नोटिस जारी कर 5 मार्च तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने फिल्म के डायरेक्टर व प्रोड्यूसर को आदेश दिया है कि फिल्म की असली सीडी कोर्ट में पेश की जाए। ताकि याचिकाकर्ता की आपत्तियों को पुष्ट करने के लिए जरूरत पड़ने पर उसे देखा जा सके। 

पूर्व दस्यु मलखान सिंह व मान सिंह के परपोते जंडेल सिंह ने सोन चिड़िया फिल्म के खिलाफ याचिका दायर की है। दोनों का तर्क है कि फिल्म में उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई और जिस किताब से फिल्म की कहानी ली गई है, उसके लेखक से फिल्म के डायरेक्टर व प्रोड्यूसर ने इजाजत नहीं ली है।

मलखान दा स्टोरी ऑफ ए वेनडिट किंग किताब पूर्व दस्यु मलखान सिंह के जीवन पर लिखी गई है। जब मलखान सिंह ने 1982 में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण किया था, उस वक्त यह किताब मलखान सिंह को भेंट की गई थी।

इस किताब में लिखी कहानी के आधार पर सोन चिड़िया फिल्म बनाई है। फिल्म में दस्यु मानसिंह की गैंग दिखाई गई है, लेकिन फिल्म में कहानी मलखान दा स्टोरी ऑफ ए वेनडिट किंग किताब की बताई गई है।

इसको लेकर पूर्व दस्यु मलखान सिंह व दस्यु मानसिंह के परपोते जंडेल सिंह ने आपत्ति की है और हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। दोनों की ओर से तर्क दिया गया है कि फिल्म बनाने से पहले डायरेक्टर व प्रोड्यूसर ने कोई इजाजत नहीं ली है। 

इटावा क्षेत्र में बना है मानसिंह का मंदिर 

दस्यु मान सिंहसिंह 1939 में चंबल के बीहड़ों में कूद गए थे और 1955 तक मानसिंह के नाम से चंबल के बीहड़ों में पहचाने जाते थे। 1955 में मान सिंह मारे गए। इटवा क्षेत्र में मान सिंह का मंदिर बना हुआ है। मलखान सिंह 1972 में बागी होकर चंबल के बीहड़ों में कूद गए थे और चंबल के बीहड़ उनके नाम से पहचाने जाने लगे, लेकिन 1982 में उन्होंने आत्म समर्पण कर दिया था। सोन चिड़िया फिल्म में दोनों की कहानी को मिक्स किया गया है, जिस पर मलखान सिंह व मानसिंह के परिवार ने आपत्ति की है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!