कुख्यात डाकू रामबाबू गडरिया का साथी गिरफ्तार, साधू बनकर घूम रहा था | MP NEWS

Bhopal Samachar
शिवपुरी। वर्ष 2007 में शिवपुरी ग्वालियर एवं आसपास के इलाकों में में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात डाकू रामबाबू गड़रिया का गिरोह तो उसके एनकाउंटर के साथ ही टूट गया था परंतु उसके गिरोह के बचे हुए डाकू फरार हो गए थे। उनमें से एक चिंटू गड़रिया को मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। चिंटू उर्फ चित्ता पुत्र हल्के गड़रिया 2006 की उस वारदात में शामिल था, जिसमें रामबाबू गड़रिया ने इंदौर जाने वाली बस को रोककर लूटपाट की एवं 19 यात्रियों का अपहरण कर लिया था। शुरूआत के 3 साल तक रामबाबू गड़रिया की बहन चंदा गड़रिया को भी चिंटू ने अपने साथ रखा, उसके बाद वो लापता हो गई। 

कहां कहां फरारी काटी, कैसे पकड़ा गया

शिवपुरी के नरवर थाना क्षेत्र के बंगला गांव निवासी चिंटू उर्फ चित्ता पुत्र हल्के गड़रिया ने वृंदावन और मथुरा में 6 साल फरारी के बाद  शिवपुरी के एक मंदिर में फरारी काटी। यहां वह श्रद्धालुओं का गुरु बन गया और उन्हें ज्ञान की बातें बताने लगा। यहां करीब 5 साल से वह मंदिर पर रहकर लोगों से मिलने वाले दान पर गुजर-बसर कर रहा था। मंगलवार को वह छर्च थाना क्षेत्र के बिलौआ गांव में रिश्तेदारी में जाने के लिए निकला। इस बीच मुखबिर ने चिंटू की सूचना पुलिस को दे दी। पुलिस ने उसे  श्योपुर-शिवपुरी हाईवे पर बिलौआ रोड से गिरफ्तार कर लिया। 

नए नाम से आधार कार्ड भी बनवा लिया था

चिंटू गड़रिया ने पहले पुलिस को लगातार गुमराह किया। उसने अपने उप्र मथुरा का होने के आईडी पेश किए, लेकिन पुलिस ने उसकी नहीं मानी। चिंटू ने फरारी में अपना नाम अयोध्या शरण पुत्र कुंजबिहारी निवासी मथुरा उप्र रख लिया था। लेकिन मुखबिर की सटीक सूचना पर गिरफ्तार आरोपी चिंटू से जब सख्ती से पूछताछ हुई तो उसने सच्चाई कुबूल कर ली। चंदा को भी शरण देने की बात कुबूल की। हालांकि आरोपी अभी भी पुलिस को अन्य साथियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा है।

गड़रिया गैंग में 80 से से ज्यादा डाकू पार्ट टाइमर थे

रामबाबू गड़रिया गिरोह में यूं तो एक समय में करीब 8-10 डाकू रहते थे परंतु गिरोह के सदस्य आते जाते रहते थे। इस गिरोह में 80 से ज्यादा डाकू थे। पूरा गिरोह कभी एक साथ किसी वारदात में शामिल नहीं हुआ। रामबाबू, अपने साथियों को बदल-बदलकर उपयोग करता था। इसके बदले उन्हे हिस्सा दिया जाता था। दरअसल, ये सभी पुलिस से प्रताड़ित थे। रघुवर और रामबाबू के फरार होने के बाद पुलिस ने इन सभी को निर्दोष होने के बाद भी प्रताड़ित किया। इनके परिवारों में रोजी रोटी का संकट आ गया था। इसीलिए रामबाबू ने यह तरकीब निकाली और वारदातों में शामिल होने के बदले हिस्सा देने लगा ताकि सभी की जरूरतें पूरी हो सकें। 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!