भोपाल। मध्यप्रदेश में कर्मचारियों के दुश्मन नंबर 1 पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कर्मचारियों से माफी मांगी है। उन्होंने 16 साल पहले हुई भूल-चूक के लिए माफी मांगी। बता दें कि दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा कर्मचारी विरोधी नेता माना जाता है। दिग्विजय सिंह की कर्मचारी विरोधी नीतियों एवं दलित ऐजेंडे के कारण ही 2003 में कांग्रेस सरकार सत्ता से बाहर हुई थी जो 2018 में तब वापस आई जब दिग्विजय सिंह को चुनाव प्रचार से दूर कर ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ चेहरा सामने किया गया।
दिग्विजय सिंह ने गीतांजलि चौराहा स्थित कर्मचारी भवन में कहा कि 15 साल हो गए, होली का मौका है, कोई भूल-चूक हो गई हो तो माफ करना। अगर मैं सांसद बनता हूं तो आपको मालूम है कि दिग्विजय झूठ नहीं बोलता, हर वादा पूरा किया जाएगा। इतने साल से मुझे अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला। अब मिला है तो कह रहा हूं। दिग्विजय ने आगे कहा कि मेरे शासनकाल में कर्मचारियाें काे केंद्र के समान समय पर महंगाई भत्ता दिया गया। अनुकंपा नियुक्तियां भी दी गईं। इस दौरान दिग्विजय ने स्व. एनपी शर्मा, स्व. देवी प्रसाद शर्मा समेत कई वरिष्ठ कर्मचारी नेताओं को याद भी किया।
भोपाल लोकसभा सीट में करीब दो लाख राज्य कर्मचारी और पेंशनर्स हैं।
सबसे ज्यादा करीब 50 हजार कर्मचारी वोट भोपाल की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा में हैं।
कर्मचारियों के परिवार का भी वोट चुनाव का केंद्र बनता है।
लोग दिग्विजय सिंह को कर्मचारी विरोधी नेता मानते हैं।
दिग्विजय सिंह ने शिक्षकों की जगह 500 रुपए महीने में शिक्षाकर्मियों की भर्ती की थी।
लोग दिग्विजय सिंह को रोजगार विरोधी नेता मानते हैं।
दिग्विजय सिंह ने गीतांजलि चौराहा स्थित कर्मचारी भवन में कहा कि 15 साल हो गए, होली का मौका है, कोई भूल-चूक हो गई हो तो माफ करना। अगर मैं सांसद बनता हूं तो आपको मालूम है कि दिग्विजय झूठ नहीं बोलता, हर वादा पूरा किया जाएगा। इतने साल से मुझे अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला। अब मिला है तो कह रहा हूं। दिग्विजय ने आगे कहा कि मेरे शासनकाल में कर्मचारियाें काे केंद्र के समान समय पर महंगाई भत्ता दिया गया। अनुकंपा नियुक्तियां भी दी गईं। इस दौरान दिग्विजय ने स्व. एनपी शर्मा, स्व. देवी प्रसाद शर्मा समेत कई वरिष्ठ कर्मचारी नेताओं को याद भी किया।
क्या हुआ था जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे
2003 के विधानसभा चुनाव के दौरान वेतन-भत्तों को लेकर राज्य कर्मचारी नाराज थे। कर्मचारियों का डीए केंद्र से 9 फीसदी तक पिछड़ गया था। तब 28 हजार से ज्यादा दैनिक वेतनभाेगियों को नौकरी से हटाने के आदेश निकलने लगे थे। इसके अलावा, 20 साल की नौकरी और 50 साल की उम्र का फॉर्मूला बना था, जिस पर सरकार ने छंटनी शुरू की थी। इससे कर्मचारी आक्रोश में थे।अब माफी क्यों मांगी
दिग्विजय सिंह अब भोपाल से लोकसभा प्रत्याशी हैं।भोपाल लोकसभा सीट में करीब दो लाख राज्य कर्मचारी और पेंशनर्स हैं।
सबसे ज्यादा करीब 50 हजार कर्मचारी वोट भोपाल की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा में हैं।
कर्मचारियों के परिवार का भी वोट चुनाव का केंद्र बनता है।
लोग दिग्विजय सिंह को कर्मचारी विरोधी नेता मानते हैं।
दिग्विजय सिंह ने शिक्षकों की जगह 500 रुपए महीने में शिक्षाकर्मियों की भर्ती की थी।
लोग दिग्विजय सिंह को रोजगार विरोधी नेता मानते हैं।