जबलपुर। यदि कोई दुकानदार एमआरपी को छुपाकर या मिटाकर अपनी तरफ से चिट चिपकाता है और ग्राहक को यह कहता है कि यही वस्तु का उचित मूल्य है तो सामान्यत: ऐसे मामलों को उपभोक्ता फोरम का केस माना जाता है परंतु मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसले में बताया कि यह एक आपराधिक धोखाधड़ी है। ऐसे मामलों को आईपीसी की धारा 420 के तहत दर्ज किया जाना चाहिए और अपराध मानते हुए उचित न्यायालय में सुनवाई की जानी चाहिए।
मामला क्या है
प्रकरण के अनुसार जानकी नगर निवासी कपिल कौरव 13 अक्टूबर 2017 को मालवीय चौक स्थित करण चप्पल खरीदने गया था। उसे एक चप्पल पसंद आई, जिस पर 750 रुपए एमआरपी अंकित थी। उसे वह चप्पल 740 रुपए में दी गई। जब उसने चप्पल के ऊपर लगी स्लिप हटाई तो उसमें 499 रुपए एमआरपी अंकित थी। उसने लार्डगंज पुलिस को धोखाधड़ी की शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद उसने न्यायालय में परिवाद दायर किया। न्यायालय के आदेश पर गुलशन मक्कड़ और नीरज मक्कड़ के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 481, 482, 486 और 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज किया था। नीरज मक्कड़ ने एफआईआर दर्ज करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया
याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया कि शिकायतकर्ता को उपभोक्ता न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराना चाहिए। ऐसे मामलों में आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं कराया जा सकता है। अधिवक्ता असीम त्रिवेदी और आशीष पांडे ने तर्क दिया कि यह मामला धोखाधड़ी का है। इसलिए मामले में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया गया है। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विक्रेता द्वारा यदि निर्माता या विपणन एजेन्सी द्वारा अंकित अधिकतम कीमत को छिपाकर अपनी कीमत लगाकर वस्तु को ऊंची कीमत पर बेचता है तो वह उपभोक्ता को धोखा देने के समान है। ऐसे मामले में केवल उपभोक्ता फोरम के पास जाने का विकल्प नहीं है, उपभोक्ता आपराधिक प्रकरण भी दर्ज करा सकता है।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट ने उपभोक्ता हित में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि किसी वैधानिक प्रावधान के अभाव में ऊंची कीमत पर वस्तु बेचना अपराध नहीं है, लेकिन यदि विक्रेता द्वारा निर्माता या विपणन एजेन्सी द्वारा अंकित अधिकतम कीमत को छिपाकर अपनी कीमत लगाकर वस्तु को ऊंची कीमत पर बेचता है तो यह उपभोक्ता को धोखा देने के समान है। जस्टिस जेपी गुप्ता की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि उपभोक्ता को यह विश्वास दिलाना कि वस्तु की कीमत निर्माता के द्वारा तय की गई है। यह कृत्य आपराधिक धोखाधड़ी है। इस अभिमत के साथ एकल पीठ ने दुकानदार की याचिका खारिज कर दी है। अब उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 481, 482, 486 और 120 बी के तहत प्रकरण चलेगा।