पिछले वर्षों में कई विशेषज्ञों ने दावा किया कि काम करते हुए यदि आप हल्का बैकग्राउंड म्यूजिक (LIGHT MUSIC) सुनते हैं तो आपकी क्रिएटिविटी (CREATIVITY) बढ़ जाती है परंतु 2 UNIVERSITY के संयुक्त अध्ययन में सामने आया कि परिणाम इसके उलट होते हैं। रचनात्मकता बढ़ती नहीं बल्कि काम खराब हो जाता है।
लोगों का मानना है कि म्यूजिक सुनने से व्यक्ति की रचनात्मकता बढ़ जाती है। वह मौखिक रूप से समस्याओं को बेहतर ढंग से हल कर पाता है। स्वीडन की गवले यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन की सेंट्रल लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी ने इसी बात पर एक अध्ययन किया। अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने विशेष प्रयोग किया। उन्होंने एक प्रतिभागी को तीन शब्द दिए। उदाहरण के तौर पर ड्रेस, डायल, फूल। इसके बाद उन्होंने इससे जुड़े अन्य शब्द दिए जैसे सन। आखिर में इन शब्दों से बने अन्य शब्द जैसे सनड्रेस, सनडायल और सनफ्लावर आदि सुनाए।
शोधकर्ताओं ने एक शांत वातावरण में मौखिक टेस्ट लिए। इस दौरान बैकग्राउंड म्यूजिक बजता रहा। म्यूजिक में वे गाने थे, जिनमें से कुछ से प्रतिभागी परिचित थे। लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के नील मैक्लेची ने कहा, बैकग्राउंड म्यूजिक बजने से प्रतिभागियों का प्रदर्शन बिगड़ गया। उन्होंने सुझाव दिया है कि किसी टास्क को करते समय पीछे संगीत बजने से हमारी क्रियाशील स्मृति बाधित होती है। इसी का असर हमारे प्रदर्शन पर पड़ता है।