सुनील विश्वकर्मा/हरपालपुर। हमारे भारत देश में कई अनूठी और अजूबी कहानियाँ और जगहें हैं कितनी ही किंवदंती उन जगहों से जुड़ती है कई सारी कहानियां और बहुत सारा इतिहास भी। ऐसा ही एक मंदिर शिव मंदिर मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से 60 किलोमीटर दूर नौगांव तहसील में स्थित है। ग्राम सरसेड़ जो हरपालपुर से 3 किलोमीटर दूरी पर है। शिवधाम सरसेड़ ग्राम की चारों सीमाएं उत्तरप्रदेश से लगी हुयी हैं। ग्राम सरसेड़ महाराजपुर विधानसभा व टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र में आता है।
सरसेड़ गांव छटवीं शताब्दी में नाग राजाओं की राजधानी रही हैं। इस गांव में बना शिव मंदिर पहाड़ की गोद मे स्थित हैं। जो पूरी तरह से पत्थरों को काटकर बनाया गया है। सावन के माह में और महाशिवरात्रि के पर्व यहाँ श्रद्धालुओ का तांता लगा रहता हैं। नागराजाओं की आस्था धर्म विश्वास का प्रतीक अनोखा शिव मंदिर भले ही कोणार्क व खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर की तरह प्रसिद्ध न हो पाया लेकिन शिवधाम सरसेड़ मंदिर आने वाले श्रदालुओं के लिए जिज्ञासा का केंद्र वर्षो से बना हैं।
यह हैं मंदिर की विशेषता
जानकारी के अनुसार छटवीं शताब्दी भगवान भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए थे और उनके ऊपर विशाल चट्टान शेषनाग की तरह स्थित हैं। और यह चट्टान हर साल शिवलिंग से ऊपर उठती जा रही हैं। बहुत पहले श्रद्धालु लेटकर परिक्रमा करते थे लेकिन अब इनती जगह हो गयी है कि श्रद्धालु पूजा अर्चना और आसानी से परिक्रमा कर सकते हैं। मंदिर के आस पास पहाड़ पर 5 पानी के कुण्ड हैं। इन कुंडों का पानी कभी नही सूखता हैं। भीषण गर्मी में भी नही सूखते कुंड।
शिवमंदिर के एक और एक प्राचीन गणेश मंदिर है। इसके पास ही एक प्राचीन गुफा अंदर को जाती है जो अनेक वर्षो से बंद है। कहा जाता है कि नाग शासक शिव उपासक हुआ करते थे शिवमंदिर से सीधे गुफा के माध्यम से वह किला जाते थे। अब भी यह मान्यता है कि गुफा में आभूषणों का खजाना है। जिसमे लोगो का जाना वर्जित हैं। और गुफा को बंद कर दिया गया हैं।इस मंदिर की प्राकृतिक विशेषता यह है कि जो शिवलिंग के ऊपर विशाल चट्टान हैं प्रत्येक पांच वर्ष में एक इंच ऊपर उठती हैं।
नागराजाओं शान्तिदेव के समय से महाशिवरात्रि के पावन पर्व मेला लगाने का आयोजन शुरू किया गया था तब से लेकर आजतक लगातार महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर मेले का आयोजन चला आ रहा है शिव पार्वती विवाह धूमधाम से मनाया जाता है।